11 अगस्त 2017 को गोरखपुर के BRD अस्पताल में Oxygen की कमी की वजह से कई बच्चों की मौत हो गई थी. इस हादसे की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने नौ लोगों को ज़िम्मेदार माना था, जिसमें doctor कफील खान भी शामिल थे. ये वो कफील खान हैं जिन्हें मीडिया ने पहले हीरो के तौर पर पेश किया. बताया था कि उनके इंतज़ाम किए गए oxygen cylinders के कारण करीब सौ बच्चों की जान बची. लेकिन बाद में ना सिर्फ लापरवाही का आरोप लगाकर उन्हें suspend किया गया, बल्कि कई और आरोप के तहत और मौतों के लिए ज़िम्मेदार लोगों में एक बता कर गिरफ्तार भी किया गया.
Dr Kafeel Khan's Painful letter to countrymen "8 month in jail without bail"for no crime. His wife addressed media today in Delhi. Kafeel's daughter can also be seen in photo. pic.twitter.com/4dK9vPjXz6
— Dr. J Aslam Basha (@JAslamBasha) April 22, 2018
पिछले आठ महीने से डॉक्टर कफील खान जेल में है. अभी तक उन्हें बेल नहीं मिली है. शुक्रवार को डॉक्टर खान का परिवार एनडीटीवी ऑफिस पहुंचा और सिस्टम पर कई आरोप लगाए. एनडीटीवी ने बात करते हुए डॉक्टर कफील खान की पत्नी ने कहा कि जेल के अंदर डॉक्टर कफील खान बीमार हैं, लेकिन उन्हें सही इलाज नहीं मिल रहा है. पत्नी के कहा कि ऊपरी स्तर के लोगों को बचाने के लिए कफील खान को फंसाया जा रहा है. जान-बूझकर उनके बेल को रोका जा रहा है. इस बीच कफील खान की परिवार ने एनडीटीवी को एक खत दिया, ये खत डॉक्टर कफील खान ने 18 अप्रैल को जेल से लिखा था. इस खत में उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है. कफील खान ने लिखा है उनका कोई दोष नहीं है. एक डॉक्टर के रूप में उन्होंने अपना फ़र्ज़ निभाया है. कफील खान के खत के कुछ अंश हम आप के सामने पेश कर रहे हैं. यह खत अंग्रेज़ी में लिखा गया है, जिसे हमने हिंदी में ट्रांसलेट किया है.
“आठ महीने से जेल में यातना, अपमान के बाद भी आज सब कुछ मेरे यादों में जिंदा है. कभी-कभी मैं अपने आप से सवाल पूछता हूं क्या मैं सच मे दोषी हूं, तो दिल के गहराई से जवाब मिलता है नहीं, नहीं, नही. 10 अगस्त को व्हाट्सएप पर जब मुझे खबर मिली तो मैं वो सब किया जो एक डॉक्टर, एक पिता और देश के एक ज़िम्मेदार नागरिक को करना चाहिए. मैंने सभी बच्चों को बचाने की कोशिश की, जो ऑक्सीजन के कमी के वजह से खतरे में थे. ऑक्सीजन की कमी के वजह से मासूम बच्चों को बचाने के लिए मैं अपने तरफ से पूरी कोशिश की.
मैंने सबको कॉल किया, विनती की, मैं भागा, मैंने ड्राइव किया, मैंने ऑक्सीजन का आर्डर किया, मैं रोया, मैंने वो सब कुछ किया, जो मुझसे हो सकता था. मैंने अपने HOD को कॉल किया, अपने दोस्तों को कॉल किया, BRD अस्पताल के प्रिंसिपल को कॉल किया, BRD के एक्टिंग प्रिंसिपल को कॉल किया, गोरखपुर के DM को फ़ोन किया और सबको ऑक्सीजन के कमी के वजह से अस्पताल में खड़े हुए गंभीर स्थिति के बारे में बताया. हज़ारों बच्चों को बचाने के लिए मैं गैस सप्लायर के पास गिड़गिड़ाया भी.
मैंने उन लोगों कैश दिया और कहा कि सिलिंडर डिलीवर होने के बाद बाकी पेमेंट हो जाएगा. लिक्विड सिलिंडर टैंक पहुंचने तक हम 250 सिलिंडर जुगाड़ करने में सफल हुए. एक जंबो सिलिंडर का दाम 250 रुपया था. मैं एक वार्ड से दूसरे वार्ड भाग रहा था. यह भी नज़र रख रहा था कि ऑक्सीजन सप्लाई की कमी न हो. आसपास के अस्पताल से सिलिंडर लाने के लिए मैं खुद ड्राइव करके गया. जब मुझे लगा यह ज्यादा नहीं है तब मैं ड्राइव करके SSB पहुंचा और इसके DIG से मिला और स्थिति के बारे में बताया. DIG के तरफ से तुरंत मदद की गयी. BRD अस्पताल से गैस एजेंसी तक खाली सिलिंडर टैंक पहुंचाने और इन्हें भरकर अस्पताल पहुंचाने के लिए एक बड़े ट्रक के साथ कई सैनिक तुरंत भेज दिए गए. वो लोग 24 घंटे तक इस काम मे लगे रहे. मैं SSB को सैल्यूट और उनके मदद के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं.
मैंने अपने जूनियर और सीनियर डॉक्टर से बात किया, अपने स्टाफ को पैनिक न होने के लिए कहा, नाराज़ परिवारों से गुस्सा न करने के लिए कहा. सबकी ज़िंदगी बचाने के लिए एक टीम के रूप में हम सब काम किये. जो परिवार अपने बच्चे खोये थे मैंने उन्हें सांत्वना दिया. मैंने उन परिवारों को भी समझाया जो अपने बच्चा खोने के वजह से परेशान और गुस्से में थे. मैंने उनको समझाया कि लिक्विड O2 खत्म हो गया है और और हम जंबो ऑक्सीजन सिलिंडर से काम चला रहे हैं. लिक्विड ऑक्सीजन टैंक पहुंचने तक हम अपने कोशिश जारी रखे. 13 तारीख के सुबह मुख्यमंत्री योगी महाराज अस्पताल पहुंचे और मुझे पूछा क्या आप डॉक्टर कफील है और आप ने सिलिंडर जुगाड़ किये हैं तो मैंने “हां” में जवाब दिया. योगी गुस्से में आ गए और कहा कि आप को लगता है सिलिंडर जुगाड़ करने से आप हीरो बन जाएंगे. मैं इसे देखता हूं। योगी जी इस घटना के मीडिया में आ जाने के वजह से गुस्से में थे. मैं अल्लाह के नाम पर कसम खाकर कह रहा हूं कि किसी भी मीडिया को मैंने उस रात इन्फॉर्म नहीं किया था. मीडिया अपने आप वहां पहुंचा था.
पुलिस हमारे घर आने लगी, टॉर्चर के साथ-साथ मेरे परिवार धमकी देने लगी. लोगों ने मुझे कहा कि पुलिस मुझे एनकाउंटर में भी मरवा सकती है. मेरा परिवार पूरी तरह डरा हुआ था. अपने परिवार को बचाने के लिए मैंने यह सोचकर सरेंडर किया कि मैंने कुछ गलत नहीं किया है और मुझे न्याय मिलेगा, लेकिन नहीं. दिन बीत गए, हफ्ते बीत गए, महीने बीत गए, अगस्त 17 से लेकर अप्रैल 18 तक होली आई, दशहरा आया, क्रिस्मस चला गया, नया साल आया, दीवाली आई मुझे लगता था कि बेल मिल जाएगी, लेकिन अब लगने लगा है कि न्यायपालिका भी दबाव में काम कर रही है ज़िंदगी सिर्फ मेरे लिए नहीं मेरे परिवार के लिए भी नरक और तुच्छ बन गया है. जस्टिस के लिए मेरे परिवार एक जगह से दूसरे जगह भाग रहा है. पुलिस स्टेशन से कोर्ट, गोरखपुर से इलाहाबाद लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है. मेरी बेटी का पहला जन्मदिन मैं सेलिब्रेट नहीं कर पाया. अब वो एक साल और सात महीने की हो गयी है.
10 अगस्त को मैं छुट्टी पर था और (छुट्टी मेरे HOD ने सैंक्शन किया था) लेकिन फिर भी अपना ड्यूटी निभाने के लिए मैं अस्पताल पहुंचा. मैं अस्पताल का सबसे जूनियर डॉक्टर था. मैंने 8/8/2016 को अस्पताल जॉइन किया था. मैं NHRM में नोडल अफ़सर के रूप में काम करता था और padiatrics के लेक्चर के रूप छात्रों को पढ़ता था. मैंने कहीं भी सिलिंडर खरीदने, टेंडर में, ऑर्डर, पेमेंट में शामिल नहीं था. अगर पुष्पा सेल्स ने सिलिंडर देना बंद कर दिया तो उस के लिए मैं कैसे ज़िम्मेदार हूं. मेडिकल फील्ड के बाहर के एक आदमी भी कह देगा कि डॉक्टर का काम इलाज करना है ना कि सिलिंडर खरीदना. दोषी तो गोरखपुर के DM, DGME, हेल्थ और एजुकेशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी है क्योंकि पुष्पा सेल्स के द्वारा 68 लाख बकाया राशि पेमेंट करने के लिए 14 रिमाइंडर के बात भी कोई कदम नहीं उठाया गया.
यह ऊंच स्तर पर प्रशासनिक लेवल की बहुत बड़ी विफलता है. हम लोगों को बलि का बकरा बनाया गया और हम लोगों को जेल के अंदर डाला, ताकि सचाई गोरखपुर जेल में ही रह जाए. जब मनीष को बेल मिला, तो हमें भी लगा कि जस्टिस मिलेगा और हम अपने परिवार के साथ रहने के साथ-साथ दोबारा सेवा कर सकेंगे. लेकिन हम लोग अभी भी इंतज़ार कर रहे हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि समय आएगा जब मैं फ्री हो जाउंगा और अपने बेटी और परिवार के साथ रहने लगूंगा. न्याय जरूर मिलेगा.
एक असहाय टूटा दिल पिता, पति, भाई, बेटा और दोस्त” …