दुष्यंत दवे का सनसनीखेज खुलासा, कहा- भाजपा के करीबी हैं लोया केस के जज अरुण मिश्रा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा न्यायपालिका के खिलाफ मोर्चा खोलने के एक दिन बाद ही वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए लोया केस की सुनवाई कर रहे जज अरुण मिश्रा पर आरोप लगाए हैं। दवे का कहना है कि मिश्रा के भाजपा और बड़े नेताओं के साथ करीबी रिश्ते हैं।

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दवे ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि सीबीआई के विशेष जज रहे जस्टिस लोया की मौत के मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस अरुण मिश्रा के भाजपा और शीर्ष नेताओं से करीबी संबंध हैं। दवे ने कहा, हर कोई जानता है कि जस्टिस अरुण मिश्रा के भाजपा और शीर्ष राजनेताओं के साथ करीबी संबंध हैं। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जस्टिस अरुण मिश्रा को लोया केस की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।

लोया केस के याचिकाकर्ता और कांग्रेस नेता तहसीम पूनावाला का कहना है कि वरिष्ठ वकील दवे ने उनपर सुप्रीम कोर्ट की पीठ से केस वापस लेने का दबाव बनाया था। उन्होंने पूनावाला को यह समझाने की कोशिश की कि जस्टिस मिश्रा सीजेआई के अनुयायी हैं इसलिए वो इस केस की सुवनाई नहीं करेंगे। तहसीम का कहना है कि पहले दवे उनके केस के वकील बनने के लिए तैयार हो गए थे लेकिन जब उन्हें पता चला कि मिश्रा इसके जज हैं तो उन्होंने उन्हें सुझाव दिया कि इसे सुप्रीम कोर्ट से वापस लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर करें।

कांग्रेस समर्थक पूनावाला ने जब याचिका को वापस लेने से इनकार कर दिया तो दवे उनसे नाराज हो गए और कहा कि अब कोर्ट में तुम खुद अपना पक्ष रखना। पूनावाला ने दावा किया कि शुक्रवार को जब मामले की सुनवाई चल रही थी तो किसी भी वादी की तरफ से पेश न होने वाले दवे ने बेंच के सामने कहा कि पूनावाला को इस केस को वापस लेने की इजाजत देनी चाहिए।

बता दें कि शुक्रवार को आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने मीडिया के सामने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए। अभूतपूर्व घटना में जजों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्र के खिलाफ सार्वजनिक मोर्चा खोल दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने एक चिट्ठी जारी की, जिसमें सीजेआई की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।