नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह फैसला किया है कि इस बार पेश किए जाने वाले बजट में कोई भी ऐसी घोषणा नहीं की जाएगी जो चुनावी राज्यों के लिए हो. आम बजट अब 1 फरवरी को पेश की जाएगी. विपक्षी पार्टियों के आपत्ति जताने के बाद चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को इस शर्त पर बजट पेश करने की मंजूरी दी कि बजट में पांच चुनावी राज्यों से जुड़ी किसी भी योजना का ऐलान नहीं किया जाए और न ही इन राज्यों में सरकार की उप्लब्धियों का बखान किया जाना चाहिए.
आजतक के अनुसार, चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा कि सरकार चुनाव वाले इन पांच राज्यों में अपनी नीतियों और उपलब्धियों का बखान बजट भाषण में नहीं करेगी, और न ही इन राज्यों के लिए कोई विशेष घोषणा करेगी, क्योंकि ऐसा करने से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की भावना पर असर पड़ेगा.
पूरी तरह निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग ने यह फैसला किया है ताकि बजट की किसी विशेष घोषणा से किसी भी राजनीतिक पार्टी को कोई चुनावी फायदा न मिले. चुनाव आयोग को अगर ऐसा लगता है कि बजट में की जाने वाली किसी घोषणा से कोई राजनीति फायदा उठाया जा सकता है तो उस पर भी रोक लगा सकता है.
केंद्र सरकार के बजट पेश किए जाने के फैसले पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी. हालांकि कोर्ट ने सोमवार को यह याचिका खारिज कर दी थी.
उल्लेखनीय है कि आमतौर पर बजट फरवरी के आखिरी हफ्ते में पेश किया जाता रहा है. लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार 1 फरवरी को आम बजट पेश करने जा रही है. ऐसे में विपक्षी दलों नेचुनाव आयोग से बजट की तारीख़ आगे बढ़ाने की मांग की थी. इन दलों ने शिकायत की थी कि मतदान से पहले बजट भाषण से जनता पर सत्ताधारी दल असर डालने की कोशिश करेगा. हालांकि चुनाव आयोग ने सरकार को बजट पेश करने से तो नहीं रोका, लेकिन विपक्ष की चिंता के मद्दे नज़र केंद्र सरकार को हिदायत दे दी है.