सावधान: कौन है गौरक्षक जो कर रहे दूसरे मजहबों के लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ ?

गौरक्षा का मुद्दा देश में एक ऐसा बवाल बन गया है जिसमें कई कई लोगों ने अपनी जान तक गंवाई है। देश में जगह-जगह चंद गुंडों के झुंड इकठ्ठा हो खुद को गौरक्षक बता कर ऐसे-ऐसे कामों को अंजाम दे रहे हैं जिसकी आम आदमी कल्पना तक करने से डरता है। 2014 से सुर्ख़ियों में आए गौ-रक्षा दल कुछ राजनीतिक दलों की शह पर मुस्लिम और दलित समुदाय के लोगों पर कहर बरपाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। इसका अंदाज़ा आप लगा सकते हैं दादरी, गुजरात के ऊना, हरियाणा और बिजनौर जैसी घटनाओं से। गौरक्षकों का मुख़ौटा ओढ़े कट्टड़पंथी संगठनों ने जिन गुंडों को इलाकों में छोड़ रखा है न तो इनके पास ऐसी दरिंदगी करने का कोई लाइसेंस है और न ही कोई सर्टिफिकेट।

देश के प्रधानमंत्री मोदी के राज में उफान पर आए इस गौरक्षा के मुद्दे पर मोदी ने जब देखा कि देश के माहौल बेकाबू हो रहा है तो झूठी तस्सली देने के लिए चार शब्द गौरक्षकों के खिलाफ बोल दिए। एक तरफ जहाँ गौ-रक्षा के लिए मुस्लिम और दलित समुदाय के साथ हर देश के किसी कोने से तरह-तरह की खबरे सामने आ रही हैं वहीँ अब इन्होंने इन समुदाय की भावनाओं से खेलने के लिए एक और हथकंडा अपनाया है जिससे ये लोग उन्हें दोनों तरफ से मार मारने का काम कर सकें।

कौन हैं ये गौरक्षक

मन में बहुत बार सवाल उठता है कि बहुत कुछ पढ़ने समझने और सुलझाने के जो तस्वीर सामने आती है उसे देख समझ आता है कि असल में ये वो लोग है जिन्हें अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए किसी जरिये की जरूरत थी। गौ-रक्षक वह हैं जिनको कुछ राजनीतिक और हिन्दू संगठनों ने हाथ में झंडे दे ऐसी नौकरी दी है जिसमें उन्हें कुछ मेहनत करने की जरूरत नहीं है। हाथ में भगवा झंडे लिए और सर पर भगवा साफ लपेटे ये लोग राजनीति में कदम रखना चाहते हैं लेकिन शॉर्टकट से। सुबह धर्म के नाम पर गाय की रक्षा करते फिरते ये लोग वही है जो शाम को शराब पीकर लोगों की लोगों की लड़कियों पर हमले करते हैं। भगवा संगठनों के ताल पर नाचते ये गौ-रक्षक न जानते हैं कि ऐसे काम करवाने के पीछे उनका एजेंडा क्या है और न ही ये जानना चाहते हैं।

क्योंकि मासूम लोगों की जान के साथ खेल रहे इन लोगों के लिए कुछ पैसे काफी हैं। इनको शह देने वाले ये संगठन इनसे निहत्थे लोगों को पिटवा रहे हैं और इन गौ-रक्षकों पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता और अगर कोई एक्शन ले लिया जाए तो ऐसे होता है जैसा हाल ही में दादरी हत्याकांड के आरोपी रविन के साथ हुआ। उसे तिरंगे में लपेट कर ऐसे मान-सम्मान दिया गया जैसे कोई जवान सरहद पे देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ हो। इंसानों के भेस से इन गुंडों को कुछ संगठनों ने खोजी कुत्तों की तरह जगह-जगह फैला रखा है ताकि ये हर तरफ गौमाता को सूंघते फिरें और देखें कि देश में किस जगह, कौन गौमांस खा रहा है। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों के कुत्तों को भी ट्रेनिंग के वक़्त सिखाया जाता है कि उन्हें सूंघ कर किसी चीज़ की पहचान कैसे करनी है लेकिन गौरक्षक कहलाने वाले इन लोगों से इक सवाल ये है कि जब इन्होंने कभी गोंमांस चखा ही नहीं है तो इन्हें बिना खाये, दूर से देखकर कैसे पता चल जाता है कि यह गौमांस ही है?

लोगों को मूर्ख बनाने के लिए क्या नए पैंतरे लाये हैं गौ रक्षक?

गौरक्षा को जबरदस्ती सबकी नज़र में वाजिब ठहराने के लिए अब गुजरात गोसेवा एवं गोचर विकास बोर्ड ने पैगम्बर मोहम्मद और जीसस क्राइस्ट का सहारा लिया है। पहले हिंसा और अब अहिंसा दोनों तरफ से लोगों पर अपनी मनमानी थोपने का सिलसिला बनाने की कोशिश तेजी से की जा रही है। मुस्लिम समुदाय को उनके पैगम्बर हजरत मोहम्मद के संदेश का वास्ता देकर और क्रिस्चियन समुदाय को उनके धर्मगुरु जीसस क्राइस्ट के उपदेश का।

बोर्ड ने गोवंदन कार्य सरिता में गौरक्षा पर इन दोनों महान हस्तियों के उद्धारहण प्रकाशित किए हैं जिसमें विभिन्न धर्मगुरुओं के उद्धरण भी शामिल हैं। इसमें जीसस क्राइस्ट को उद्धरित करते हुए लिखा है, ‘गाय को मारने से उतना ही पाप होता है जितना किसी इंसान को मारने से। इसी तरह पैगम्बर हजरत मोहम्मद को कोट करते हुए कहा गया है, ‘गाय का सम्मान करो क्योंकि यह सभी जानवरों में सर्वोत्तम है। गाय दूध देती है और इसके दूध से घी जैसे उत्पाद बनते हैं। बीफ का सेवन कई बीमारियों का कारण हो सकता है।

जबकि जमैत-ए-उल्मा-ए-हिंद, गुजरात के जनरल सेक्रटरी मुफ्ती अब्दुल खय्याम का कहना है कि मोहम्मद अरब में जहाँ रहते थे, वहां उन्होंने कभी भी गाय नहीं देखी और अरब से बाहर वह कभी गए ही नहीं। गौरक्षक दल ऐसी झूठी अफवाहें फैला कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने गाय को देखा हो और इसकी उपयोगिता के बारे में बताया हो। ये लोग महान हस्तियों के नाम पर ऐसे ही झूठ फैलाते हैं।

जीसस ने तो सभी जानवरों के लिए दया की भावना रखने का सन्देश दिया है लेकिन गाय पर अलग से उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा क्योंकि बाइबिल में कहीं ऐसा उल्लेख नहीं मिलता है। इसलिए गौरक्षा दलों के ऐसी झूठे बयानों से साफ़ जाहिर होता है कि ये लोग दोहरी तरफ से चालें चल कर लोगों पर अत्यचार करने की तैयारी में हैं। जहाँ मारपीट से काम चले वहां हिंसा से और जहाँ हिंसा न करनी हो वहां लोगों की भावनाओं को आहत कर के। इसलिए सावधान रहें, संगठित रहें।

प्रियंका शर्मा

ये लेखक के निजी विचार हैं.