आसान नहीं है राह! गुजरात चुनाव दिल्ली से रुखसत का रास्ता भी साबित हो सकता है

गुजरात: जैसे जैसे मतदान की तारीखें करीब आ रही है,सबकी धड़कने तेज़ हो चली है.एक तरफ भाजपा 
गुजरात में 150 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। वही कांग्रेस ने भी कोई कसर 
नहीं छोड़ रखा है. भाजपा के लिए उसी के गढ़ में अब तक की सबसे बड़ी सियासी चुनौती मुंह बाए खड़ी है क्योंकि 
मोदी जानते हैं कि दिल्ली की कुर्सी का रास्ता उनके लिए गुजरात से निकला है, तो यही गुजरात दिल्ली से रुखसत का 
रास्ता भी साबित हो सकता है। लेकिन क्या सच में गुजरात में भाजपा के लिए स्थिति इतनी खराब है, इसे समझने के
लिए हमें गुजरात के चुनावी इतिहास में नजर दौड़ानी होगी। 




राजनीतिक विशेषज्ञों और विश्लेषकों की माने तो बीजेपी के 115 सीटों से 150 सीटें जीतने के दावे में 
कोई दम नहीं है. बता दें की 2012 में भी भाजपा ने इतनी सीटें जितने का दावा किया था. 
लेकिन सीएसडीएस सर्वेक्षण द्वारा किए गए एक सर्वे में भाजपा के वोट प्रतिशत में लगातार गिरावट आई है।
सर्वे के मुताबिक , अगस्त में, 59%  लोगों ने कहा कि वे भाजपा को वोट करेंगे वही कांग्रेस के लिए 29% लोगों ने वोट
करने की बात कही. लेकिनं 2 महीने बाद नवंबर में भाजपा के वोट प्रतिशत में भारी गिरावट आई. नवंबर के सर्वे में 
जहाँ भाजपा के लिए 43%  ने वोट करने को कहा वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी के लिए भी 43%  लोगों ने हामी भारी.
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के डायरेक्टर संजय कुमार के मुताबिक GST और नोटबंदी के बाद लोगों का 
गुस्सा खुल कर सामने आया है. उन्होंने आगे  कहा लोग भाजपा से खुश बिलकुल नहीं है अलबता बीजेपी की मदद मोदी
की लोकप्रियता कर सकती है.मोदी सरकार के आने के बाद से ही किसान बदहाल है और कहीं न कहीं इसका असर चुनावो 
में देखने को मिलेगा.


वही अहमदाबाद सागर रबाड़ी, में एक किसान कार्यकर्ता कहते हैं  "किसानों को अच्छी कीमत नहीं मिल रही है, युवा को 
रोजगार नहीं मिल रहा और विकास के फल गुजरात में बहुत कम लोगों तक पहुंच रहे हैं. सिर्फ कुछ लोग  ही 'गुजरात 
मॉडल' को महसूस कर रहे हैं। इनका विकास सिर्फ कुछ उद्योगपतियों के लिए है जनता के लिए नहीं। "

लेकिन सीएसडीएस के सर्वे के अनुमानों के मुताबिक, भाजपा अब भी 91 से 99 सीटों के साथ  आगे है, जबकि कांग्रेस पार्टी
70 से 86 के बीच ही जीत दर्ज करती दिख रही है.
बता दें की भाजपा का वोट शेयर इन सारे चुनावों में कांग्रेस के मुकाबले दस फीसदी ही अधिक रहा है और इस दस फीसदी
वोट के दम पर ही भाजपा कांग्रेस के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा सीटें हासिल करती रही है. माना जा रहा है कि यदि इस 
वोट शेयर में पांच फीसदी एक स्विंग भी हुआ तो दोनों पार्टियों का वोट शेयर एक समान हो गया तो भाजपा को लेने के 
देने पड़ सकते हैं।