यूरोप : स्वीडन ने कहा, मुसलमानों को हाथ मिलाने से इनकार का अधिकार जबकि स्विट्जरलैंड ने कहा, नहीं

इस सप्ताह यूरोप में महिला का पुरुष से हाथ नहीं मिलाने का मामला सुर्ख़ियों में रहा। स्विट्ज़रलैंड में एक मुस्लिम जोड़े ने अपनी नागरिकता खो दी क्योंकि उन्होंने विपरीत लिंग के लोगों के साथ हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था।

स्विट्ज़रलैंड में लॉज़ेन शहर की घटना में यह निर्धारित किया कि मुस्लिम जोड़ा नागरिकता के मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं क्योंकि हाथ मिलाने से इनकार करने से उनकी विफलता का प्रदर्शन किया गया है।

लॉज़ेन महापौर ग्रेगोरे जूनोड ने तर्क दिया कि विश्वास और धर्म की आजादी स्थानीय कानूनों में निहित है लेकिन जोर देकर कहा गया है कि ‘धार्मिक अभ्यास कानून के बाहर नहीं आता है’।

उपाध्यक्ष पियरे-एंटोनी हिल्डब्रैंड, जो कि तीन सदस्यीय आयोग पर थे, ने इस समझौते पर सवाल उठाया कि एएफपी को बताया गया है कि ‘पुरुषों और महिलाओं के बीच संविधान और समानता मतभेद से अधिक है’।

हालांकि, स्वीडन में ही एक इंटरव्यूअर को इंटरव्यू देने आई युवती से जबरदस्ती हाथ मिलाने की कोशिश करना महंगा पड़ गया। युवती ने अदालत का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने कंपनी पर 3 लाख रुपए का जुर्माना ठोक दिया।

स्ट़ॉकहोम के उपासला काउंटी में रहने वालीं 24 वर्षीय फराह ने इंटरव्यूअर से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया। इंटरव्यूअर ने फराह से हाथ मिलाने के लिए कई बार कहा, लेकिन फराह ने हाथ नहीं मिलाया। इंटरव्यू खत्म होने के बाद फराह को नौकरी पर नहीं रखा गया।

फराह ने स्थानीय अदालत में कंपनी के खिलाफ केस दायर कर दिया। अदालत ने कंपनी को 40 हजार क्रोनर (करीब तीन लाख रुपए) फराह को देने का आदेश दिया है।
फराह ने बताया कि वह अल्पसंख्यक थी, इसके बाद भी उसने हार नहीं मानी। उसका मकसद किसी को दुख पहुंचाना नहीं है, लेकिन वह खुद की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ भी नहीं सह सकती है।

स्वीडन के प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक इंटरव्यूअर ने जानबूझकर ऐसी हरकर की। स्वीडन में किसी की भी धार्मिक स्वतंत्रता से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है।

यूरोप के कुछ देशों में हाथ मिलाने की परंपरा है। कुछ मुस्लिम महिलाएं पुरुषों से हाथ मिलाना पसंद नहीं करतीं हैं। इसी वजह से कई कंपनियों और सार्वजनिक निकायों में भेदभाव विरोधी नियम बनाए गए हैं।

कंपनी के अधिकारियों ने अदालत में तर्क दिया कि उनकी कंपनी में पुरुष और महिला कर्मचारियों में भेदभाव नहीं करती है, इसलिए हाथ मिलाने का रिवाज अपनाया जाता है।

ऐसे में महिला किसी पुरुष कर्मचारी से हाथ मिलाने से इनकार नहीं कर सकती। कंपनी की दलील पर कोर्ट ने कहा कि पुरुषों और महिलाओं में बराबरी के लिए कंपनी सिर्फ हाथ मिलाने को पैमाना नहीं मान सकती है।

अपने धर्म के मुताबिक युवती ने हाथ मिलाने से इनकार किया और यूरोप का मानवाधिकार कानून हर नागरिक की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करता है।