क्या हर गैर-हिन्दू देशद्रोही है?

इस बात को जोर शोर से पेश किया जा रहा है कि हिन्दू ही देशभक्त हैं। जो हिन्दू नहीं, वह देशभक्त नहीं, वे देशद्रोही है। देश चलाने का अधिकार सिर्फ हिन्दुओं ही को हासिल है। गैर हिन्दुओं को यहाँ पर दुसरे दर्जे का नागरिक बनकर रहना होगा। चिंता की बात है कि मीडिया भी इस तरह की खबरों को ख़ूब नमक मिर्च लगाकर फैलता है। जब भी चुनाव का मौक़ा आता है तो जोर शोर से इस बात पर चर्चे होने लगते हैं और उस समय कांग्रेस भी नरम हिंदुत्व का प्रदर्शन करने लगती है।

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गुजरात के पिछले विधानसभा चूनाव के अभियान के बीच भाजपा की ओर से राहुल गाँधी को चैलेंज करते हुए उनसे यह साफ़ करने को कहा था कि वह यह बताएं कि वह हिन्दू हैं या नहीं? जैसे वह यह समझते थे कि राजनीति में रहने के लिए उनके धर्म की पहचान करना ज़रूरी है? उनसे यह सवाल बार बार उस समय किया गया जब यह बात सामने आई कि उन्होंने सोमनाथ के मंदिर के रजिस्टर में एक गैर हिन्दू के हैसियत से दस्तखत किये थे।

हालाँकि बाद में य बात सामने आई कि सच में उनके सामने कोई रजिस्टर पेश ही नहीं किया गया था। किसी और ने उनकी ओर से रजिस्टर को भरा था। राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी को तो उसी समय भारतीय संविधान के हवाले से बात करते हुए भाजपा के सवाल पर जवाबी सवाल जड़ना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और गुजरात चुनाव के मौके पर लगभग उतने ही मंदिरों का दौरा किया जितने मंदिरों में मोदी गए थे।

नतीजा यह हुआ कि टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर उसको खूब उछाला। किसी ने कहा कि राहुल को हिन्दू होने पर गर्व नहीं है। किसी ने गड़े मुर्दे उखाड़ते हुए यह कहा कि जब राहुल 27 साल के थे, उस समय न्यू यॉर्क टाइम्स ने उनको कैथोलिक इसाई के तौर पर अपनी लिस्ट में शामिल किया था। क्या राहुल ने बाद में कभी भी उसको ख़ारिज किया? कांग्रेस की ओर बचाव करते हुए कहा गया कि हमें यह कहने में कोई तकलीफ नहीं है कि राहुल गांघी न सिर्फ यह कि हिन्दू हैं बल्कि वह पवित्र धागा (जेनियो) भी पहनते हैं।