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मिसाल: रिक्शा चालक पिता के तीन बेटियां और एक बेटा बने इंजीनियर

ग्वालियर: सोना जब आग में तपकर निकलता है तो उसकी चमक किस कदर बिखरती है इसका अंदाजा देखने वाले देखकर ही लगा सकता है। ऐसा ही एक मिसाल ग्वालियर की सड़कों पर ऑटो चलाने वाले सोहनलाल वर्मा के चार बच्चों ने कर दिखाया है। सोहन लाल के पांच बच्चों में से तीन बेटियां और एक बेटा इंजीनियर बन चुके हैं।

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जानकारी के मताबिक, बड़ी बेटी आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुढ़की में प्रोजेक्ट एसोसिएट बन गई है। दो बेटियां बीटेक कर रही हैं और इकलौता बेटा आईआईटी रुढ़की से इसी साल बीटेक कर बेंगलुरु में दस लाख रुपए सालाना का पैकेज हासिल कर चुका है। सबसे छोटी बेटी ने दसवीं की परीक्षा 88 प्रतिशत अंको के साथ पास की है।

रिक्शा चालक सोहनलाल के बेटे सूर्यकांत बताते हैं, कभी इतने भी पैसे नहीं थे कि कोचिंग की महज आठ हजार रुपए फीस भर पाएं, लेकिन आज दस लाख रुपए सालाना के पैकेज से करियर की शुरुआत करने जा रहा हूं।

मेरे मम्मी-पापा ने हम भाई-बहनों को पढ़ाने-लिखाने के लिए जी-तोड़ मेहनत की। मुझे पता है कि गरीबी कितने रोड़े डालती है, लेकिन इससे लड़ते हुए भी उन्होंने हमारा करियर संवारने का लक्ष्य सदैव सामने रखा।

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