चरमपंथी और इस्लाम एक साथ इकट्ठा नहीं हो सकते: मौलाना महमूद मदनी

लखनऊ: इंसान कमज़ोर हो तो उसका दिल भी कमजोर हो सकता है, लेकिन मुस्लिम बुजदिल हरगिज़ नहीं हो सकता। मुसलमानों को निडर और बहादुर होने ज़्यादा सब्र करने वाला होने की ज़रूरत है। मौजूदा समय में ऐसे हालात पैदा किए जा रहे हैं कि मुसलमान को डराने की कोशिश की जा रही है। उसी डर की वजह से गलतियाँ होती हैं।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

भारत के लोकतांत्रिक प्रणाली ने सभी धर्म के लोगों को अपने तरीके से जिंदगी गुजरने का अधिकार दिया है। कुछ लोग देश के स्थिति ऐसा करने का योजना बना रहे हैं कि मुसलमानों की शरीअत में हस्तक्षेप कर सकें लेकिन जमीअत के पूर्वजों ने जिस तरह आज़ादी की लड़ाईयों में अपनी जनों का नजराना पेश किया था। अपनी शरियत को बचाने के लिए भी वह किसी तरह की क़ुरबानी पेश कर सकते हैं।

यह बातें जमीअत उलेमा के तहत महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहीं। जमीअत उलेमा ए हिन्द की ओर से राजधानी लखनऊ के झुलेलाल पार्क में आयोजित होने वली देश व मिल्लत की सुरक्षा सम्मलेन में हजारों के सभा को संबोधित करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि मौजूदा समय में मुसलमानों में डर पैदा करने की साजिश की जा रही है।

मुस्लिम कमजोर तो हो सकता है लेकिन बुजदिल हरगीज़ नहीं है। सीके अलावा उन्होंने मुसलमानों से अपील की है कि वह सब्र से काम लें क्योंकि डर की वजह से ही इंसान गलती करता है। उन्होंने भारत हमारा देश है, हम ही यहाँ के असल नागरिक हैं, हमने ही साम्प्रदायिकता के मामले में अपनों से मुकाबला किया है, उन अपनों से समझौता नहीं किया है।