यूज़र्स के दिमाग में आत्महत्या का ख्याल आते ही फेसबुक को पता चल जाएगा

वाशिंगटन: सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने कृत्रिम बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए उन लोगों की पहचान शुरू कर दी है जिनके बारे में खतरा हो कि वह आत्महत्या कर सकते हैं।

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फेसबुक ने ऐसा एलगोरदम बनाया है जो उपयोगकर्ताओं की पोस्ट और उन पर दोस्तों की ओर से किए जाने वाली टिप्पणियों की रोशनी में उन यूज़र्स की पहचान करेगा जिनके बारे में खतरा हो कि वह आत्महत्या कर सकते हैं।

फेसबुक की टीम की ओर से पुष्टि के बाद कंपनी उन लोगों से संपर्क करेगी जिनके बारे में यह विचार है कि वह खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं और उन्हें बताया जाएगा कि वे कैसे मदद हासिल कर सकते हैं।

आत्महत्या के संबंध से स्थापित हेल्पलाइन के प्रमुख ने इस कदम के बारे में कहा है कि ‘यह न केवल उपयोगी है बल्कि महत्वपूर्ण भी है।’
इस समय इस विधि का केवल अमेरिका में ही विश्लेषण किया गया है। फेसबुक प्रोडक्ट मनेजर वेनेसा कीलेसन बर्क ने बीबीसी को बताया कि ‘हम जानते हैं कि गति महत्व रखती है जब चीजें जरूरी हों।’

आत्महत्याओं को रोकने वाले अमेरिकी संस्थान के निदेशक ने उनके प्रयासों की सराहना तो की लेकिन साथ ही उनका कहना था कि उन्हें उम्मीद है कि फेसबुक सिर्फ सलाह देने के साथ साथ उन लोगों से संपर्क करने के लिए भी प्रयास करे जो मदद कर सकते हैं ।

गौरतलब है कि इससे पहले फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकर बर्ग ने घोषणा की थी कि एक नई योजना तैयार की गई है जिसके तहत कृत्रिम बुद्धि वाले सॉफ्टवेयर की मदद से साइट पर पोस्ट किए गए तीव्रता व्यावहारिक सामग्री की निगरानी की जा सकेगी।

उन्होंने अपने पत्र में इस परियोजना का विवरण बताते हुए कहा था कि अंततः कृत्रिम बुद्धि वाले सॉफ्टवेयर की मदद से फेसबुक आत्महत्या का सोचने वालों की पहचान करेगा

एलगोरदमज़ आतंकवाद, हिंसा, बदमाशी जैसे सामग्री की पहचान कर सकेंगे और इससे आत्महत्या रोकने में भी मदद मिलेगी।

हालांकि उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सॉफ्टवेयर को पूरी तरह से तैयार करने में वर्षों लग सकते हैं। इससे संबंधित उन्होंने लगभग 5500 शब्दों से युक्त एक पत्र में विवरण का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि फेसबुक पर हर दिन अरबों की संख्या में विभिन्न तरह के संदेश और कमेन्ट पोस्ट होते हैं और उनका आकलन करना लगभग असंभव है।