संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ के विरोध की आग अब तक ख़त्म नहीं हुई है। जिसकी वजह से कई राज्य बर्बाद हो रहे हैं। इस विरोध की अगुआई ‘करणी सेना’ नाम का संगठन कर रहा है। आपको बता दें कि पूरे उत्तर भारत में फिल्म के विरोध में जितने भी मिलते-जुलते नामों के संगठन मैदान में हैं, सभी के लिए ‘करणी सेना’ नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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‘पद्मावत’ के खिलाफ जो संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं, उनमें श्री राजपूत सभा, जौहर स्मृति संस्थान और महिला संगठन जौहर क्षत्राणी मंच आदि प्रमुख हैं। इनमें से ज्यादातर संगठन अलग-अलग काम करते हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि शायद इन सभी में सबसे पुराना एसआरकेएस यानी श्री राजपूत करणी सेना है, जिसकी स्थापना 2006 में हुई थी।
बताया जा रहा है कि एक असफल राजनेता लोकेंद्र सिंह कल्वी और एक बिल्डर अजीत सिंह ममडोली, दोनों ही एसआरकेएस के संस्थापक होने का दावा करते हैं। ममडोली कहना है कि उन्होंने संगठन की स्थापना के कुछ महीने बाद कल्वी को इससे जुड़ने का न्योता दिया था। जबकि कल्वी का दावा है कि वह इसके सह-संस्थापक हैं।
इन दोनों ने अपने अपने रास्ते साल 2008 राजस्थान चुनाव में अलग कर लिए थे। दोनों एक ही नाम के संगठन के दो अलग-अलग धड़ों की अगुआई करते हैं। संगठन के नाम पर दोनों ही दावे करते हैं लेकिन यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है।
2015 में कल्वी ने एसआरकेएस के अपने धड़े से उसके स्टेट प्रेसिडेंट सुखदेव सिंह गोगामेदी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद, सुखदेव ने श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना (SRRKS) की स्थापना की।
कल्वी और ममडोली इस बात से सहमत हैं कि 2006 में SRKS की स्थापना राजपूतों के पारंपिक विरोधी जाट समुदाय से हुए उनके टकराव के बाद ही हुई। उसी साल राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह ने कथित तौर पर अवैध शराब के धंधे पर वर्चस्व की लड़ाई में जीवन राम गोदारा और हरफूल राम जाट की हत्या कर दी थी।
इन हत्याओं के बाद जाटों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने समर्थन भी दिया। आरोप है कि पुलिस ने उन सभी राजपूत लोगों को हिरासत में लिया, जो आनंदपाल से किसी न किसी तरीके से जुड़े हुए थे। इसके विरोध में ही 23 सितंबर