फ़रीदाबाद: बीफ़ ले जाने के शक़ में उन्मादी भीड़ ने फ़रीदाबाद इलाक़े में एक ड्राइवर की जमकर पिटाई की और उसके ट्रक में आग लगा दी.
भीड़ को शक़ था कि ट्रक में गोमांस ले जाया जा रहा है लेकिन हक़ीक़त में ऐसा कुछ नहीं निकला.
ट्रक में मरे जानवरों की हड्डियां थीं जिसे क़ानूनी तरीक़े से हापुड़ ले जाया जा रहा था.
फ़रीदाबाद पुलिस ने इस केस में 50 मुलज़िमों पर एफआईआर दर्ज की है. अभी तक पांच मुलज़िमों की गिरफ़्तारी हो चुकी है जिनकी शिनाख़्त निशांत, सागर, प्रवीण, कुलदीप और दीपक के रूप में हुई है.
सभी अनंगपुर गांव के रहने वाले हैं और इनकी उम्र 20 साल के आसपास है. फ़रीदाबाद पुलिस ने अपनी तफ़्तीश में पाया है कि पीड़ित कोई ग़ैरक़ानूनी काम नहीं कर रहे थे.
फरीदाबाद नगर निगम से लाइसेंस जारी होने के बाद ठेकेदार मरे जानवरों की हड्डियां ट्रांसपोर्ट कर रहे थे. ठेकेदार का टाटा 407 ट्रक फरीदाबाद से हापुड़ जा रहा था मगर भीड़ ने सूरजकुंड इलाक़े में इसे रोक लिया.
फिर ड्राइवर की पिटाई की और ट्रक को अरावली के जंगल में ले जाकर आग के हवाले कर दिया. ठेकेदार करजन सिंह कहते हैं, ‘मैं टाटा 407 ट्रक के पीछे स्कूटी से चल रहा था कि तभी ट्रक को ओवरटेक किया गया.
इसके बाद हमलावरों ने ड्राइवर को नीचे उतारकर पीटा और ट्रक को जंगल में ले जाकर जला दिया.’ करजन सिंह ने हमलावरों को बार-बार कहा कि उनके पास सभी दस्तावेज़ हैं और वो कोई ग़ैरकानूनी काम नहीं कर रहे हैं लेकिन भीड़ ने कुछ नहीं सुना.
वहीं फरीदाबाद नगर निगम ने भी कहा है कि ठेकेदार को लाइसेंस जारी किया गया है.
इस तरह के कुल तीन ठेकेदारों को लाइसेंस दिया गया है जो मरे जानवरों को फरीदाबाद गुड़गांव रोड पर डंप करने का काम करते हैं.
करजन ने बताया कि वह मरे हुए जानवरों का चमड़ा और हड्डियां निकालकर उन्हें बुलंदशहर, मेरठ और हापुड़ की फैक्ट्रियों में बेचते हैं.
फ़रीदाबाद पुलिस ने कहा है कि ठेकेदार और ड्राइवर दोनों दलित जाति के हैं, इसलिए मुलज़िमों पर एससी-एटी एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं.