भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने के मौके पर संसद के विशेष सत्र में सोनिया गांधी ने बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि उस वक्त कुछ ऐसे भी संगठन थे जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था।
उन्होंने कहा कि ऐसे संगठनों का हमारे देश को आज़ादी दिलाने में कोई योगदना नहीं रहा।आज देशवासियों के मन में कई आशंकाएं हैं और आज़ादी के माहौल में अंधकार फिर छा रहा है। ऐसा लगता है कि सृष्टि पर नफरत और विभाजन के काले बादल नज़र आ रहे हैं। हमें दमनकारी शक्तियों का विरोध करना होगा।
सोनिया के इस बयान पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरु हो गया है। जहां बीजेपी ने उनके इस बयान पर कड़ी आपत्ती जताई है वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ नेता फारुख अब्दुल्ला उनके पक्ष में नजर आए।
फारुख अब्दुल्ला ने कहा, “भारत की हालत आज बहुत खराब है। आज लोगों को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है और दमन किया जा रहा है। इसके लिए आंदोलन होना चाहिए। हम साथ हैं, बहुत से लोगों ने देश की आजादी के लिए क़ुर्बानी दी हैं।आरएसएस ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था, ये सच है। बीजेपी हर विषय पर राजनीति करती है और दूसरों पर आरोप लगाती है।
वहीं, बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, “सोनिया गांधी जी को इतिहास की पूरी जानकारी नहीं है, इसलिए उन्होंने ये बयान दिया। लगता है उनके स्क्रिप्ट राइटर ने ठीक से रिसर्च नहीं की थी।”