मसलकी मतभेदों को बढ़ाने वाला फतवा अन्तराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा: मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग

नई दिल्ली: दारुल उलूम देवबंद की ओर से एक खास मसलक के लोगों के साथ इफ्तार करने से परहेज़ करने के फतवे की चौतरफा निंदा हो रही है। और देश के मौजूदा हालात के मद्देनजर देवबंद के फतवे पर सवाल भी उठ रहे हैं।

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फतेहपुरी शाही जामा मस्जिद के इमाम डॉक्टर मुफ़्ती मुकर्रम अहमद के अलावा पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब और शिया इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली अहमद फातमी ने दारुल उलूम देवबंद के फतवे की निंदा की है।

गौरतलब है कि देवबंद ने किसी के सवाल पर फतवा दिया है कि एक ख़ास मसलक के यहाँ शादी की समारोह और इफ्तार से परहेज़ करना चाहिए। मुफ़्ती मुकर्रम अहमद ने इंक़लाब ब्यूरो से बात करते हुए काह कि दारुल उलूम देवबंद का फतवा मुझे अन्तराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा मालूम होता है।
उन्होंने कहा कि यह मुसलामनों को अलग करने के लिए अमेरिका, इजराइल, और अन्य देशों की प्लानिंग चल रही है और उसी का हिस्सा यह ताजातरीन फतवा है।