जम्मू-कश्मीर : सरकार बनाने के लिए समर्थन पत्र भेजा जा रहा था, पर फैक्स टोन नहीं दे रहा था गवर्नर हाउस

कश्मीर : जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग किए जाने को लेकर गुरुवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक की कड़ी आलोचना हुई। कांग्रेस ने इसे देश के संविधान के साथ खिलवाड़ बताया। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा,‘जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल ने जिस तरह के असंवैधानिक अनैतिक और अनुचित कार्य को अंजाम दिया है हम उसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।’ उन्होंने कहा,‘राज्यपाल ने भारत के संविधान के साथ खिलवाड़ किया है। यह सीधा-सीधा प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के इशारे पर हुआ है।’

उल्लेखनीय है कि पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस में गठबंधन बनने की अटकलों के बीच राज्यपाल मलिक ने जम्मू कश्मीर की विधानसभा बुधवार को भंग कर दी। राज्य में पीडीपी व भाजपा गठबंधन टूटने के बाद राज्यपाल शासन लागू है जिसकी छह महीने की अवधि 19 दिसंबर को पूरी हो रही है।
चिदंबरम ने कहा, “जब तक किसी ने भी सरकार बनाने का दावा नहीं किया था तब तक जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल विधानसभा को निलंबित रखकर खुश थे। जैसे ही किसी ने सरकार बनाने का दावा किया, उन्होंने विधानसभा को भंग कर दिया।”

बुधवार की शाम को, पीडीपी प्रमुख मेहबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर राज्यपाल सत्य पाल मलिक को एक पत्र फैक्स करने की कोशिश की। यह पीडीपी-एनसी-कांग्रेस गठबंधन के विधायकों के समर्थन का दावा करने वाला एक पत्र था। हैरानी की बात है कि गवर्नर हाउस में फैक्स मशीन को लंबे समय तक पत्र नहीं मिला था। मुफ्ती ने इंडिया टुडे टीवी को बताया, “वे हमें फैक्स टोन नहीं दे रहे थे।”

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि फैक्स मशीन काम कर रही थी। इसने पीडीपी प्रमुख को पत्र को ट्वीट करने के लिए मजबूर कर दिया। उनके ट्वीट के तुरंत बाद, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के साजद लोन, जिन्हें बीजेपी सहयोगी माना जाता है, ने राज्यपाल को एक पत्र भी भेजा। व्हाट्सएप के माध्यम से लोन का पत्र भेजा गया था।

इन पत्रों के सार्वजनिक होने के कुछ ही मिनटों में, गवर्नर हाउस से एक आदेश आया – जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया गया है। जून में पीडीपी की अगुआई वाली सरकार से बाहर निकलने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा निलंबित कर दी गई थी। कई ने राज्यपाल द्वारा कदम की आलोचना की। मुफ्ती ने जोर देकर कहा, “एक लोकतंत्र में, राज्यपाल को आदर्श रूप से हमारी बात सुननी चाहिए। हमारे पास इन विधायकों से समर्थन का वैध दावा है।”

जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद राज्यपाल के ऊपर उंगलियां उठने लगी और प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया। उसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने टाइम्स नाऊ से खास बातचीत में कहा सरकार न बनने देकर विधानसभा भंग करने पर सफाई देते हुए कहा कि जब इनको सरकार बनाने के लिए सीरियस अटैम्पट करना था तो इतनी फ्लाइट आती हैं श्रीनगर से, ये किसी को भेज सकती थीं। कल के पहले भी ये कर सकती थीं। किसी से मेरा कम्यूनिकेश नहीं हुआ न महबूबा से न ही लोन साहब से। लेकिन मुझे पता चला कि बड़े पैमाने पर हॉर्स ट्रेंडिंग करके के सरकार बनाने की कोशिश हो रही है। इसलिए मैंने विधानसभा भंग किया।

जब पूछा गया कि महबूबा मुफ्ती ने जैसे ही आपको सरकार बनाने की चिट्ठी भेजी आपकी फैक्स मशीन बंद हो गई। चिट्टी सोशल मीडिया पर आई। उनसे जब पूछा गया क्या आपका फैक्स मशीन चल रही है तब उन्होंने कहा कि ये भी तो हो सकता है दूसरे पक्ष को शपथ दिलवा देता। उन्होंने कहा चाइना में एक कहावत है कि किसी को आप चांद दिखाते हैं तो वह उंगली देखता है चांद नहीं देखता है। उन्होंने कहा कि फैक्स मशीन मुद्दा नहीं है। चिट्ठी मिल भी गई होती तो भी मैं यही फैसला लेता। क्योंकि प्रदेश हित में यही फैसला उचित है।

गौर हो कि विधानसभा भंग किए जाने की घोषणा से कुछ ही देर पहले पीपुल्स कान्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी बीजेपी के 25 विधायकों तथा 18 से अधिक अन्य विधायकों के समर्थन से जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश किया था। लोन ने राज्यपाल को व्हाट्सऐप के जरिए एक संदेश भेज कर कहा था कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ों से अधिक विधायकों का समर्थन है।

इससे पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी ने प्रतिद्वंद्वी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को लिखा था कि राज्य विधानसभा में पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है जिसके 29 सदस्य हैं। कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस ने भी राज्य में सरकार बनाने के लिए हमारी पार्टी को समर्थन देने का फैसला किया है। नेशनल कान्फ्रेंस के सदस्यों की संख्या 15 है और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। अत: हमारी सामूहिक संख्या 56 हो जाती है। उन्होंने कहा कि 87 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 44 विधायकों की जरूरत है। तीनों दलों के विधायकों की कुल संख्या 56 है जो इससे अधिक है।