बांग्लादेश की सीमा से सटे एक गांव के लोगों ने बीएसएफ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है। गांव वालों का दावा है कि ‘पशु तस्करी’ को रोकने के लिए शुक्रवार को की गई बीएसएफ की गोलीबारी असल में फर्जी मुठभेड़ थी।
दरअसल बीएसएफ ने एक बयान में कहा था कि पश्चिमी गारो हिल्स जिले के काचू अदोग्रे में तैनात जवानों ने मवेशी तस्करों को पकड़ा जिन्होंने स्थानीय लोगों के साथ उन पर हमला कर दिया। इसके कारण उन्हें गोलियां चलानी पडीं जिसमें दो लोग घायल हो गए।
पुलिस अधीक्षक एमजीआर कुमार ने कहा कि बेलाबोर के गांववालों ने बीएसएफ के इस बयान को झूठा बताया है और प्राथमिकी दर्ज कराते हुए इसमें शामिल बीएसएफ जवानों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
प्राथमिकी में कहा गया है कि बीएसएफ जवान अपने वरिष्ठ अधिकारियों को खुश करने के लिए आम गांववालों को पशु तस्कर बताने की कोशिश कर रहे हैं।
जिला पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हम मामले के सभी पहलुओं पर ध्यान दे रहे हैं और इसकी जांच की जा रही है कि असल में हुआ क्या।
गांववालों ने पूछा कि मवेशी तस्कर दिन के समय कैसे आ सकते हैं जब सीमा पर सुरक्षाकर्मी मौजूद रहते हैं। प्राथमिकी में दावा किया गया है कि बीएसएफ जवान अपने क्षेत्राधिकार से दूर एक जगह पर दो वाहनों में आए और मवेशी तस्करी के बारे में बेलाबोर के एक निवासी से पूछताछ की और सुबह नौ बजे उसे जाने दिया।
इसके बाद वे काचू अदोग्रे गए और वहां अपने छह मवेशी के साथ मौजूद बेलाबोर गांव निवासी नामसेंग सी संगमा पर जवानों ने जानवरों की तस्करी का आरोप लगाना शुरू कर दिया।