पिछली बार की तरह इस बार भी पहला रोजा करीब 15 घंटा 11 मिनट व अंतिम रोजा 15 घंटा 35 मिनट का होगा। पहले रोजे में सुबह 3:33 बजे सहरी और शाम 6:44 बजे इफ्तार किया जायेगा। आखिरी रोजे में सुबह 3:22 बजे सहरी और शाम 6:57 बजे इफ्तार होगा।
इस महीने में खुदा की दी हर नेमत के लिए अल्लाह का शुक्र अदा किया जाता है। महीने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल फितर मनाया जाता है। इस महीने दान पुण्य के कार्यों करने को प्रधानता दी जाती है। इसलिए इस महीने को नेकियों और इबादतों का महीना कहा जाता है।
रमज़ान कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। रमज़ान के महीने को और तीन हिस्सों में बांटा जाता है। इसके हर हिस्से में दस-दस दिन आते हैं। इसके हर हिस्से को ‘अशरा’ कहा जाता है। जिसका अरबी में अर्थ 10 होता है।
कुरान में हर मुसलमान के लिए रोजा रखना जरूरी माना गया है। विश्वभर में मुसलमान पहली बार कुरान के उतरने की याद में पूरे महीने रोजे रखते हैं। रोजे के महीने में नशीले पदार्थ का सेवन पूरी तरह से मना है।