बिहार: शवों को जलाने के लिए नहीं है सूखी जगह, पानी में बहाकर किया अंतिम संस्कार

बिहार में बाढ़ ने सारे रिकार्ड तोड़ दिया है। इंसानों के मरने का सिलसिला जारी है, मगर उसे दफनाने या उसे अंतिम संस्कार के लिए जमीन सूखी नहीं है। चारों तरफ़ पानी ही पानी है। ऐसी ही एक घटना बिहार के दरभंगा में 15 अगस्त को आये बाढ़ की आयी है। मरे व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए अथवा शवों को जलाने के लिए दो गज जमीन भी नहीं बची।

बाढ़ के कहर के कारण पांच दिन बाद भी श्राद्ध करने के लिए सुखी जगह नहीं है। सड़क किनारे परिजन क्रिया-कर्म करने के लिए मजबूर है।

यह घटना बिहार में बाढ़ग्रस्त दरभंगा जिले की है। जाले प्रखंड में आने वाली कमतौल थाना क्षेत्र में बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है। यहां बाढ़ की चपेट में आने से 17 अगस्त को घर गिर गया, जिसमें दबकर ढढ़ीया के रहने वाले परमेश्वर यादव की मृत्यु हो गयी।

खिरोई नदी के किनारे श्मसान घाट, जिसे मुक्ति धाम कहा जाता है। अथाह पानी में डूबा था, घर के बाहर सड़क पर पानी की तेज धारा और जलावन की व्यवस्था नहीं हो सकी। जिसके बाद परिजनों ने शव को पानी में बहा दिया।

फिर पांच दिन बाद 21 अगस्त को भी घर और दरवाजे पानी में डूबे है। मृतक की पत्नी सोनावती देवी ने बताया कि पानी पार कर सड़क किनारे श्राद्ध कर्म की प्रक्रिया को पूरा करना विवशता है।