आर्थिक संकट को लेकर मोदी सरकार पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बाद एक और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शोरी ने सीधा हमला बोला है . एनडीटीवी से बात करते हुए सरकार को आर्थिक मुद्दों पर कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि केंद्र में ढाई लोगों की सरकार है और यह सरकार विशेषज्ञों की बात नहीं सुनती है. नोटबंदी पर सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि नोटबंदी एक बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग स्कीम थी और इसके तहत बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद किया गया. इस बात का प्रमाण खुद आरबीआई ने यह कहकर दिया है कि नोटबंदी के दौरान 99 फीसदी पुराने नोट बैंकों में जमा किए गए.
उन्होंने कहा कि देश इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है और यह संकट नासमझी में लिए गए जीएसटी के फैसले से पैदा हुआ है. जीएसटी का फॉर्म बहुत जटिल है और इसके डिजाइन में कई बड़ी खामियां हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर सरकार को तीन महीने में सात बार नियम बदलने पड़े. जीएसटी का सीधा असर छोटे और मझोले उद्योगों पर पड़ रहा है. इससे उद्योगों के उत्पादों की बिक्री तथा उनकी आमदनी में गिरावट आई है.
आप को दें कि अरुण शौरी प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक हैं. वे विश्व बैंक में अर्थशास्त्री और योजना आयोग में सलाहकार भी रहे हैं. वे अंग्रेजी के कई पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे हैं और 1998-2004 तक भारत सरकार में मंत्री भी रहे हैं. राजग सरकार में उन्होंने विनिवेश, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों सहित कई अन्य विभागों में कार्यभार संभाला था.