फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोला सरकोज़ी और पूर्व प्रधान मंत्री मैनुअल वाल्स सहित कई फ्रांसीसी द्वारा एक खुला पत्र लिखकर कुरान करीम में किताल से संबंधित आयतों को हटाने की मांग की है। जिस पर मुसलमानों ने गंभीर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
गौरतलब है कि फ्रांसीसी दैनिक समाचार पत्र ली पीरसेन में में एक पत्र छपा है जिसका विषय “ मेनुफेस्टू अगेंस्ट दी न्यु एंटी-सेमिटिज्म” है। इसमें मांग किया गया है कि “कुरान करीम की जिन आयतों में यहूदियों, ईसाइयों और बेदीन नास्तिकों की हत्या का कहा गया है, उन्हें हटा दिया जाए”। इस पत्र पर निकोलस सरकोजी सहित फ्रांस के लगभग 300 अहम शख्सियतों ने हस्ताक्षर किए हैं।
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प्रेस टीवी डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक पत्र प्रकाशित होने के तुरंत बाद इसकी कड़ी आलोचना शुरू हो गई है। फ्रांस में मस्जिदों के इमाम ने अपनी गंभीर प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए चेतावनी दिया है कि इसकी वजह से यूरोपीय देशों में विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।
अल-अरबिया डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार मिस्र की प्राचीन विश्वविद्यालय जामिया-अल-अजहर के उपाध्यक्ष ने इसकी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि कुरान बिला वजह किसी व्यक्ति की गलत तरीके से हत्या की शिक्षा नहीं देता है, बल्कि वह जालिमों और अत्याचारियों के खिलाफ बचाव की लड़ाई का आदेश देता है।
शेख अल अजहर ने ऐसे बेतुके और बेमानी मांगों पर चेतावनी देते हुए कहा है कि कुरान में ऐसी आयतें नहीं हैं जिनमें किसी शख्स को उसके किसी अपराध के बिना हत्या का आदेश दिया गया हो। बल्कि कुरान में किसी और व्यक्ति को बिला वजह हत्या करने वाले और हथियार उठाने वाले सामरिक हत्या का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर दूसरों को इन आयतों की समझ नहीं आती है तो इस्लाम इसका हरगिज़ भी ज़िम्मेदार नहीं है। ससे छुपी हुई ने कहा कि अगर दूसरों को इन गीतों की समझ नहीं आता है तो इस्लाम उसका कभी भी ज़िम्मेदार नहीं है।