माहे रमज़ान में हर किसी की यही कोशिश होती है कि वह कम से कम सहरी और इफ्तार अपने परिजनों के साथ करे और किसी भी तरह मगरिब से पहले अपने घर पहुंच जाए।
इसके लिए अधिकांश लोग कामकाज जल्दी निपटाने की कोशिश करते हैं और शाम होते ही अपने घरों का रुख करते हैं। इस तरह एक समय में हजारों यात्रियों के सड़कों पर आते ही खासकर मुस्लिम बहुल शहरों में ट्रैफिक जाम के साथ ऑटो और अन्य सवारी वाहनों की कमी होने लगती है।
मुंब्रा जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में विशेष कर रमज़ान में जब एक साथ हजारों लोग ट्रेनों से उतरते हैं ऑटो की कमी महसूस होती है। ऐसे में कई लोगों की इफ्तार स्टेशन या रास्ते में ही हो जाती है। साथ ही यहां अधिकांश ऑटो वाले जो रोज़े से होते हैं वे स्वयं भी अपने घर चले जाते हैं।
इसलिए रिक्शा और सवारी वाहनों की कमी और रोज़ेदारों को दरपेश समस्याओं को देखते हुए स्थानीय विधायक जितेंद्र ओहाड की ओर से हर साल रमजान में असर से मगरिब तक मुफ्त बस सेवा शुरू की जाती है। यह बस सेवा पिछले सात वर्षों से जारी है।
मुफ्त बस चलाने और लोगों को इफ्तार तक उनके मंजिल तक पहुंचाने के विधायक के इस कोशिश की स्थानीय लोगों ने प्रशंसा करते हुए इन बसों को केवल रमज़ान तक ही नहीं बल्कि ईद के तीन दिनों तक भी चलाने की मांग की है।
लोगों का कहना है कि यहां अधिकांश ऑटो वाले मुस्लिम हैं जो ईद के दिन छुट्टी करते हैं और ऐसे में मेहमानान को अपने मंजिल तक पहुंचने में सख्त समस्या पेश आती है।