फिदायीन आतंकी फरदीन अहमद खांडे महज 16 साल का था और कुछ महीने पहले ही वह आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था। फरदीन के पिता गुलाम मोहम्मद खांडे जम्मू-कश्मीर पुलिस में पुलिस कांस्टेबल हैं। उसने वह स्कूल छोड़ने के 100 दिनों के भीतर ही मर गया।
दूसरे आतंकी की शिनाख्त मंजूर बाबा के रूप में हुई है जो वह 22 साल का था और पुलवामा का रहने वाला था। उसके पिता का नाम अली अहमद है, वहीं तीसरा व्यक्ति पाकिस्तानी था। बता दें कि शनिवार देर रात करीब 2 बजे 3 आतंकी सीआरपीएफ के कैंप में घुस गए थे और उन्होंने पहले ग्रेनेड से हमला किया, फिर फायरिंग शुरू कर दी।
इक़रा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में फरदीन अहमद खांडे ने दसवीं कक्षा में अध्ययन किया। उसके साथ पढ़ने वाले साथियों का कहना है कि वह हमारी कक्षा के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों में से एक था। एक मित्र कहते हैं कि वह हम में से सबसे विपरीत थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह आतंकवादी बन जाएगा।
पढ़ाई में अच्छा होने के अलावा फरदीन स्कूल के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक था। उसके परिवार के सदस्यों का कहना है कि पिछले साल मार्च में एक आतंकवादी और पड़ोसी अकिब मौलवी की हत्या का बुरा असर हुआ था। परिवार के सदस्यों का कहना है कि फरदीन ने किसी को सूचित किए बिना 17 सितंबर, रविवार को घर छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद बंदूक के साथ उसकी तस्वीर सोशल नेटवर्किंग साइटों पर आई और उसके पीछे जैश-ए-मोहम्मद एक बैनर था।
वह कांस्टेबल गुलाम मोहिदीन खांडे के चार बेटों (जुड़वा बच्चों) के दो बड़े पुत्रों में से एक था। फरदीन के चचेरे भाई में से एक का कहना है कि बंदूक थामने के बाद उसके परिवार ने उसकी काफी खोज की। पुलवामा एसएसपी चौधरी मोहम्मद असलम कहते हैं कि फरदीन को जैश के स्थानीय कमांडर नूर मोहम्मद ने प्रभावित किया था।