विशाखापत्तनम में वाकापल्ली आदिवासी समूह की महिलाएं बीते दस साल से इंसाफ की मांग की खातिर कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। इलाके के 11 महिलाओं के साथ 2007 में गैंगरेप हुआ था।
यहाँ माना जाता है कि यहाँ महिलाएं मंडल क्वार्टर तक जाने में घबराती हैं, ऐसे में इंसाफ की इतनी लम्बाई लड़ाई लड़ रही हैं इन महिलाओं के भीतर के दर्द और हिम्मत को आसानी से समझा जा सकता है।
हालाँकि इस मामले में धारा 376 और एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था लेकिन महिलाओं का आरोप है कि पुलिस ने दोषियों को बचाने के लिए उनके मेडिकल जांच में देरी की।
वहीँ, पुलिस का कहना है कि महिलाओं ने माओवादियों के दवाब में आकर यह आरोप लगाए हैं।
महिला चेतना समिति की सदस्य के पदमा के मुताबिक़, इन 11 महिलाओं में से तीन की मौत हो चुकी है।
मानवाधिकार मंच के जनरल सेक्रेटरी के अनुसार, पुलिस की लापरवाही के ख़िलाफ़ पीड़ित महिलाओं ने 2008 में पडेरु कोर्ट में याचिका दायर की थी।
लेकिन इसकी सुनवाई शुरू होते ही पुलिस ने आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। हालाँकि अप्रैल 2012 में कोर्ट ने लापरवाही पर 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए।
बाद इसके पुलिसकर्मी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और केस वहीं रुक गया।
फ़िलहाल अब सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना है कि इस मामले में आगे ट्रायल चलेगा या नहीं।