राजस्थान के अलवर गोरक्षा के नाम पर हुई हिंसा में नया ट्विस्ट आ गया है. रकबर की मौत पर अब पुलिस सवालों के घेरे में हैं। 200 मिनट में इस पूरे हत्याकांड का सच छिपा हुआ है।
अलवर में गोरक्षा के नाम पर हुई हिंसा में मौत को लेकर अब कहानी लगातार नए करवट ले रही हैं। भीड़ हिंसा में मौत की जो कहानी सबसे पहले सामने आई थी उसमें अब नया मोड़ आ गया है और कटघरे में पूरी तरह से अलवर पुलिस खड़ी है।
चश्मदीद कैमरे के सामने साफ साफ कह रहे हैं कि उन्होंने पुलिस को मारते देखा, और जब रकबर पुलिस के पास था तो वो जिंदा था। अब आपको उस 200 मिनट का सच समझाते हैं जिसमें रकबर की मौत का पूरा रहस्य छिपा हैं।
एफआईआर और खबरों के मुताबिक पुलिस को करीब 12.40 बजे रकबर की सूचना मिली। लेकिन पुलिस ने पुलिस करीब 4 बजे रकबर को अस्पताल पहुंचाया। सबसे बड़ी बात घटनास्थल से अस्पताल महज 6 किलोमीटर था। ऐसे में पुलिस को करीब चार घंटे कैसे लग गए।
डॉक्टर का कहना है कि रकबर को अस्पताल लाने में देरी हुई और जब वो अस्पताल पहुंचा तब तक उसकी जान जा चुकी थी। आखिर रकबर को पुलिस ने अस्पताल में पहुंचाने में देरी कैसे की, एक नीजी की टीम ने जब उसकी पड़ताल की तो एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे सामने आए।