जर्मनी में बच्चे के जन्म के बाद पंजीकरण और अन्य दस्तावेजों में अब तीसरे लिंग का विकल्प रहेगा। जर्मनी यूरोपीय संघ का पहला देश है जिसने तीसरे लिंग को मान्यता दी है। भारत में किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्जा मिला हुआ है।
इंटरसेक्स शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनमें पुरुष और महिलाओं दोनों तरह के सेक्स की विशेषता होती है। जर्मन कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है और साल के अंत तक यह लागू हो जाएगा।
जर्मनी में तीसरे लिंग के लोग अब ‘अन्य’ विकल्प पर अपना पंजीकरण करा सकेंगे। अब तक ये बिना किसी जेंडर के रजिस्ट्रेशन करा रहे थे। भारत में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही किन्नरों को तीसरे लिंग का दर्जा दिया हुआ है।
जर्मनी के सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक, जर्मनी के संविधान मूल कानून में ‘व्यक्तित्व के संरक्षण’ के सामान्य अधिकार का जो मतलब है उसके तहत तीसरे लिंग को पंजीकरण की अनुमति दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, “व्यक्तिगत पहचान के लिए लिंग तय करना सबसे अहम है।
यह न सिर्फ स्वयं की नजरों में बल्कि औरों की नजर में भी व्यक्ति की भूमिका और उसकी छवि निर्धारित करता है। ऐसे में वे लोग जो न पुरुष हैं और न ही महिला, उनकी भी पहचान सुरक्षित रखी जानी चाहिए।
इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की कानून मंत्री काटारीना बार्ले ने कहा कि लंबे समय के बाद बिल को मंजूरी मिली है। इससे लोगों के साथ न्याय हो सकेगा। उन्होंने इशारा किया कि जल्द ही तीसरे लिंग के लोगों के खिलाफ समाज में होते भेदभाव पर भी कानून बनाया जाएगा।
जर्मनी में 80 हजार से 1.20 लाख लोग तीसरे लिंग के दायरे में आते हैं। वहीं, दुनिया में औसतन 2000 में से एक नवजात तीसरे लिंग का होता है. इस बिल के आने से लोगों में न्याय की उम्मीद जगी है।