हरियाणा और उत्तराखंड में गौरक्षकों को मिलेगी सरकारी मंजूरी, जारी होगा आई कार्ड

चंडीगढ़: जहां एक ओर गौरक्षकों की गुंडागर्दी पर प्रधानमंत्री दो बार चिंता जाहिर कर चुके हैं, वहीं दूसरी ओर उन पर नकेल कसने की जगह हरियाणा और उत्तराखंड सरकार उन्हें लीगल करने जा रही है। दोनों राज्यों में गो सेवा आयोग हैं। इसी के जरिए सरकार अब मान्यता प्राप्त गोरक्षक बनाने के लिए काम कर रही है।

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हरियाणा गो सेवा आयोग के चेयरमैन भानी राम मंगला ने समाचार 18 को बताया कि हर जिले से गो रक्षक बनने के लिए आवेदन मांगी गई हैं। उनकी पुलिस वेरीफिकेशन होनी थी, यह काम चल रहा है, पुलिस पुष्टि के बाद आवेदकों को सरकार आईडी कार्ड जारी करेगी।

मंगला ने बताया कि 9 जिलों से 275 लोगों ने गौरक्षकों बनने की इच्छा जताई थी। उनकी पुलिस जांच रिपोर्ट आ गई है। इसमें से लगभग 80 गौरक्षकों बनाए जाएंगे। अन्य जिलों की रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है। थाना स्तर से गोरक्षक बनने के लिए आवेदन देने वालों की पृष्ठभूमि की जाँच हो रही है। ताकि यह पता चल सके कि कहीं आवेदन करने वाला आपराधिक गतिविधियों में लिप्त तो नहीं है।

गोरक्षक बनने के लिए उत्तराखंड में नहीं आई कोई आवेदन

रावत के अनुसार यह आदेश मार्च महीने में जारी कर दिया गया था, लेकिन अभी तक एक भी गौरक्षक का नाम नहीं मिला है। रावत कहते हैं कि उन्होंने इस महीने की 5 तारीख को ही सभी डीएम को दोबारा पत्र लिखकर यह काम जल्द से जल्द करने के लिए कहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि 80-90 प्रतिशत गो रक्षक फर्जी हैं और इससे वास्तविक गोरक्षक भी परेशान होते हैं। हम चाहते थे कि वास्तविक गोरक्षक परेशान न हों और जो काम वह कर रहे हैं किसी डर के बगैर कर पायें।

हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व परिवहन मंत्री आफताब अहमद कहते हैं कि गोगौरक्षकों को मंजूरी देकर आईडी कार्ड जारी करने की योजना बना कर दोनों सरकारों ने यह स्वीकार किया है कि गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी हो रही थी। ऐसी मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। इससे गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी अधिक बढ़ेगी। अहमद का कहना है कि देश भर में कई गोशालों में गायें मर रही हैं, लेकिन उस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।