मुसीबत से छुटकारे की दुआ

“ला इला-ह इल्ला अं-त सुबहा-न-क, इन्नी कुन्तु मिनज़्ज़ालिमीन”

अनुवाद: (ऐ अल्ल्लाह!) तेरे सिवा कोई (सच्चा) पूज्य नहीं, तेरी जाति पवित्र है, नि:संदेह मैं मुजरिम हूँ-( सुरह अल अंबिया: 87)

यह दुआ हज़रत युनुस अलैहिस्सलाम ने मछली के पेट में की,अल्लाह तआला ने उनकी दुआ क़ुबूल की, और इस दुआ के बारे में हज़रत मोहम्मद PBUH ने फ़रमाया कि, जिस मुसलमान ने भी किसी मुसीबत में इस दुआ से अल्लाह को पुकारा, अल्लाह तआला ने उसकी दुआ ज़रूर कुबूल की.