मेरठ: उत्तर प्रदेश में जीएसटी में बड़ा घोटाला सामने आया है. यूपी के गाजियाबाद, नोएडा की दो फर्मों ने दिल्ली की फर्म के साथ मिलकर ऐसी कंपनियों के फर्जी बिल तैयार कर लिए, जो कहीं अस्तित्व में ही नहीं हैं. फर्जी कंपनियों के फर्जी जीएसटी बिल थोड़े बहुत के नहीं बल्कि 297 करोड़ के बना लिए. इतना ही नहीं इन फर्जी कंपनियों के फर्जी बिलों पर सरकार से 60 करोड़ रुपए रिफंड भी मिल गए. यानी बिना कुछ किए ही सरकार से सिर्फ फर्जी कागजातों की दम पर 60 करोड़ रुपए हथिया लिए. इस फर्जीवाड़े में टैक्स अधिवक्ता, चार्टेड अकाउंटेंट भी शामिल हैं. मामले में तीन लोगों को अरेस्ट किया गया है. ये लोग व्यापारियों के बिल भी बढ़ा-चढ़ाकर बनाने में भी मदद करते थे.
ये हुए अरेस्ट
जीएसटी चोरी के इस मामले का खुलासा करने की कामयाबी मेरठ की डीजीजीआई (डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस) को मिली है. टीम ने गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली की फर्मों द्वारा धोखाधड़ी किए जाने के मामले का भंडाफोड़ किया है. बताया जा रहा है कि डीजीजीआई कार्यालय, मेरठ को कुछ समय से फर्जीवाड़े की सूचना मिल रही थी. डीजीजीआई ने सोमवार को छापामारी कर इस घोटाले के मास्टरमाइंडस पकड़ लिए. अधिकारियों के अनुसार, इन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है. दिल्ली के आईपी एक्सटेंशन के रहने वाले टैक्स अधिवक्ता राहुल जैन, नई दिल्ली के पटपड़गंज निवासी चार्टेड एकाउंटेंट मधुसूदन पांडे और इनके साथ कार्य करने वाले नई दिल्ली के अखिलेश शर्मा को गिरफ्तार किया है.
Meerut: 3 persons arrested over allegation of fake GST invoices worth Rs. 60 crore on transactions of over Rs. 300 crore. Police says, “Gang was helping companies to avail fraudulent input tax credit. Raid was conducted on Oct 3, evidences collected." pic.twitter.com/xCBmnCs3qs
— ANI UP (@ANINewsUP) October 23, 2018
इस तरह करते थे फर्जीवाड़ा
बताते हैं कि तीनों बड़े पैमाने पर फर्जी टैक्स इनवॉइस तैयार करते थे. इसके बाद इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करते करते थे. अधिकारियों के अनुसार तीनों ने फर्जी कंपनियां बना रखी थीं, जो सिर्फ कागजों में ही थीं. इन कंपनियों का कहीं कोई ऑफिस तक नहीं था. इन कंपनियों को जीएसटी के तहत पंजीकृत भी करा रखा था. इन फर्जी कंपनियों के कामकाज के फर्जी बिल बनाए जाते थे. बिना किसी लेन-देन के इन कंपनियों के नामों पर लंबा-चौड़ा व्यापार दिखा कर टैक्स इनवॉइस तैयार करते थे. और सरकार इन्हें रिफंड भी देती रही. इन लोगों ने अब तक कुल 297 करोड़ के बिल बनाए थे, इनमें से 60 करोड़ रुपए जैसी बड़ी राशि वापस (रिफंड) भी मिल गई.
मौके से बड़ी मात्रा में फर्जी कागजात मिले
अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में कागजात मिले हैं. अब तक अभी तक मिले इन कागजातों में 297 करोड़ की फर्जी इनवॉइस की जानकारी हुई है. इसमें से 60 करोड़ रुपए क्लेम के तौर पर हासिल भी किया गया. अधिकारियों ने बताया कि और कागजातों की भी जांच की जा रही है. मौके से मिले सभी कागजातों का अध्ययन किया जा रहा है.