नराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित पत्रिका पाञ्चजन्य में एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें कहा गया है कि गोरक्षकों को अपने खान-पान की आदत को पूरे देश पर नहीं थोपना चाहिए। यह लेख पाञ्चजन्य के पूर्व संपादक और श्यामाप्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान के अध्यक्ष तरुण विजय ने लिखा है।
तरुण विजय ने अपने लेख में कहा है कि उत्तर भारतीयों के खान-पान की आदत को पूरे देश पर नहीं थोपा जा सकता। उन्होंने लिखा है, “कथित गोरक्षक दलों को स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को भी पढ़ना चाहिए। इससे उन्हें यह समझ में आएगा कि उत्तर भारतीयों के खान-पान की आदतों को पूरे देश के लोगों पर नहीं थोपा जा सकता। हमें विकास के मुद्दों पर बात करनी चाहिए।”
तरुण विजय ने गोरक्षकों पर निशाना साधते हुए कहा है कि कानून हाथ में लेने की बजाय हमें गाय के प्रति सच्ची श्रद्धा दिखाते हुए सार्वजनिक जीवन में उसका सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने लिखा कि गोरक्षकों को वीर सावरकर और स्वामी विवेकानंद को एक बार फिर से पढ़ना चाहिए। जैसे हिंदी पूरे देश की भाषा नहीं है और अन्य भाषाओं का सम्मान किए बिना हिंदुस्तान की एकता संभव नहीं है। उसी तरह उत्तर भारत की खान-पान की आदत को कैसे पूरे देश पर थोपा जा सकता है?”
उन्होंने लिखा है कि कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिजली, रेलवे, हाइवे कंस्ट्रक्शन और महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर काम कर रहे हैं। जबकि हम भारत को अपनी पसंद और नापसंद पर चलाने की कोशिश कर रहे हैं।