गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों को मुस्लिम विरोधी दंगा नहीं पढ़ाया जाएगा। यह फैसला एनसीईआरटी ने लिया है। एनसीईआरटी की किताबों में अब इन दंगों को मुस्लिम विरोधी दंगों के बजाए सिर्फ ‘गुजरात दंगा’ कहा जाएगा।
हिंदुस्तान टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से एक खबर प्रकाशित की है जिसके मुताबिक, यह फैसला कोर्स रिव्यू कमिटी की एक बैठक में लिया गया है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेंकडरी एजुकेशन (सीबीएसई) और नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2007 में यूपीए के शासनकाल में प्रकाशित एनसीईआरटी की 12वीं कक्षा की किताबों में बदलाव का फैसला कोर्स रिव्यू कमेटी की बैठक में लिया गया है। हालांकि गुजरात दंगों को आजाद भारत में सबसे भीषण संप्रदायिक हिंसा माना जाता है।
गौरतलब है कि साल 2002 के फरवरी-मार्च महीने में हुए दंगों में लगभग दो हजार से अधिक लोग मारे गए थे। यह दंगा मुसलमानों को निशाना बनाकर किया गया था। इस दौरान मुस्लिम समुदाय को लोगों के टारगेट के साथ उनके जान व माल का नुकशान पहुंचाया गया था।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार बनने के बाद इस तरह के कई परिवर्तन किताबों में किए जा रहे हैं। राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे भाजपा प्रशासित प्रदेशों में खासकर इस तरह के परिवर्तन किए गए हैं। इस तरह के बदलाव पर विपक्ष दलों का आरोप है कि भाजपा सरकार शिक्षा का भगवाकरण करना चाहती है।