अहमदाबाद। देश में आये दिन स्वघोषित गौरक्षकों द्वारा गाय के संरक्षण के नाम पर मुस्लिमों की हत्याएं की गई हैं। दादरी में मोहम्मद अख़लाक़, अलवर में पहलू खान, हरियाणा में जुनैद खान और अहमदाबाद में अयूब मेव ऐसे ही नाम हैं जो सभी निर्दोष थे जिन्हें गौ रक्षकों ने बेरहमी से मार दिया। विडंबना यह है कि सरकार ने इन गौ रक्षकों को न केवल शह दे रही है बल्कि पीडि़तों को मुआवजा प्रदान करने में भेदभाव किया है।
लेकिन रोज़नामा ‘सियासत’ अखबार के प्रबंध निदेशक जहीरुद्दीन अली खान और संपादक-इन-चीफ ज़ाहिद अली खान की अपील पर अरब देशों, यूरोप और अमेरिका के धनी लोग शोक संतप्त परिवार की मदद के लिए आगे आये। इस सहायता के लिए अय्यूब की मां ने ‘सियासत’ अखबार के प्रबंधन का शुक्रिया अदा किया है।
28 जनवरी 2018 को अयूब की पत्नी का विवाह उसी के भाई आरिफ से हुआ था। हालांकि शुरू में मृतक अयूब की पत्नी सरीना बानो शादी करने के लिए अनिच्छुक थीं लेकिन परिवार के आश्वस्त करने के बाद वह आरिफ से शादी करने पर सहमत हुई।
उदारमना लोगों में जमीयत-उलेमा हिंद ने 25000 रुपए का योगदान, काउंसलर तौफीक खान ने 1 लाख रुपये और कच्छ मुस्लिम समुदाय ने 80000 रुपये की वित्तीय सहायता दी। पूर्व विधायक साबिर कबीलीवाला ने दो ऑटो रिक्शा (सेकेंडहैंड) प्रदान किया। प्रमुख आर्थिक सहायता हैदराबाद के रोज़नामा सियासत उर्दू अख़बार से दी गई।
सरीना बानो और अयूब की मां मेराज बानो के नाम पर एक संयुक्त खाता खोल दिया गया ताकि उदार और दयालु लोग अयूब के परिवार को मदद दे सकें और एक सुरक्षित और प्रतिष्ठित जीवन जीने में उनकी सहायता करें। सियासत के पाठकों की मदद से अयूब के परिवार ने 8.50 लाख का डबल बेडरूम का घर खरीदा है।
दादरी मामले के आरोपी रवि की किडनी फ़ैल होने के कारण उसकी मृत्यु हुई और सरकार ने उसके परिवार के लिए 10 लाख रुपये मुआवजा देने की बात कही थी। बाद में इस राशि को 20 लाख रुपये करने के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया। दूसरी ओर घटना के पीड़ित मोहम्मद अख़लाक़ और उनके परिवार को गाय तस्कर के रूप में पेश कर दिया गया। ठीक ऐसा ही दूसरे मामलों में भी हुआ है।
13 सितंबर 2016 को अहमदाबाद के मोहम्मद अयूब मेव पर गौरक्षकों ने हमला किया जिसकी अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि 13 सितंबर की रात को कुछ अज्ञात लोगों ने एस जी राजमार्ग पर उसे पीटा जिसके बाद मेव को वी एस अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 16 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। मेव कार में कथित तौर पर बछड़ा ले जा रहा था जिसकी दुर्घटना में मौत हो गयी थी।
उस पर लोहे की छड़ पर क्रूरता से हमला किया गया था। यह वह दिन था जब प्रधानमंत्री मोदी अपने जन्मदिन का जश्न मना रहे थे, दूसरी ओर अय्यूब अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता को छोड़ कर दुनिया से चला गया था। सरकार ने उसके परिवार को मुआवजा प्रदान करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
पाटीदार आंदोलन के दौरान मारे गए पाटीदारों को लाखों रूपए का मुआवजा देने में गुजरात सरकार ने देर नहीं की। क्या यह राज्य द्वारा अयूब के परिवार के साथ भेदभाव नहीं है?