गुलबर्ग सोसायटी दंगा के विक्टिम फिरोज खान गांधीनगर में अमित शाह के खिलाफ प्रत्याशी

अहमदाबाद : गुजरात में 2002 के गोधरा दंगों के दौरान हुई गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड के एक जीवित व्यक्ति – फिरोजखान पठान, हाई-प्रोफाइल गांधीनगर लोकसभा सीट की दौड़ में शामिल हो गए हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस निर्वाचन क्षेत्र के स्टार प्रतियोगी हैं, जिनका प्रतिनिधित्व भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गजों ने किया है। यायावरों के एक सुपरस्टार, राजेश खन्ना एक बार सीट से लड़े थे। लोकसभा चुनाव में इस बार 17 साल से न्याय की आस में भटक रहा एक शख्स बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह को चुनौती देने जा रहा है। गुजरात के गुलबर्ग सोसायटी दंगा के पीड़ित फिरोज खान पठान गांधीनगर सीट से इस बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि 2002 में गोधरा दंगों के बाद गुलबर्ग सोसायटी में हुई हिंसा में 69 लोग मारे गए थे। गांधीनगर सीट काफी चर्चित सीट मानी जाती है। फिरोज के परिवार के 10 सदस्य उस दंगे में मार दिए थे। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी की 28 फरवरी 2002 को हिंसक भीड़ ने हत्या कर दी थी।

फिरोज कहते हैं, ‘गांधीनगर से चुनाव लड़कर मैं यह संदेश देना चाहता हूं कि गुलबर्ग सोसायटी के पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला है।’ उन्होंने कहा, ‘काफी लंबा इंतजार हो चुका है।’ फिरोज एक साइबर कैफे चलाते हैं और अपनी बीवी और दो बेटियों के साथ जुहापुरा में रहते हैं। अहमदाबाद के इस इलाके में बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवार रहते हैं। 2014 में फिरोज खान पठान ने मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ सोसायटी में विकास कार्यों के लिए गलत ढंग से पैसा इकट्ठा करने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराई थी। सीतलवाड़ के संगठन सिटिजन फॉर जस्टिस ऐंड पीस ने गुलबर्ग सोसायटी के पीड़ितों को कानूनी लड़ाई में मदद की थी।

फिरोज कहते हैं, ‘मैं गुजरात विधानसभा और संसद में अधिक से अधिक भागीदारी के लिए मुस्लिम समुदाय को प्रेरित करना चाहता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने 2019 लोकसभा चुनाव के लिए यहां सिर्फ एक मुस्लिम उम्मीदवार को ही टिकट दिया है। अगर मैं सांसद बन जाता हूं तो मैं गुलबर्ग सोसायटी में स्थायी रूप से शिफ्ट हो जाऊंगा।’

गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार में फिरोज ने अपनी मां, दादी, चाची, भाई, भाभी, भतीजा और भतीजी को खो दिया था। उनका परिवार पूर्व सांसद जाफरी के घर से लगे हुए 18 नंबर बंगले में रहता था। वह कहते हैं कि गुलबर्ग की यादें उन्हें आज भी डरा देती है।