हादिया: एक बहादुर महिला की असमान्य कहानी

अदालत देश का एकमात्र संस्था है जो बड़ी हद तक निष्पक्ष है, लेकिन कई बार निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से ऐसे भी फैसले हुए हैं जिनसे पक्षपात झलकती है। इन में वह फैसले भी शामिल हैं जो समाज के संयुक्त आत्मा की सुकून को मद्देनजर रखकर किए गए हैं। दुसरे शब्दों में उन में बहुसंख्यक वर्ग की तस्कीन का जज्बा छुपा होता है।

दोनों रूप में इंसाफ के तकाजे पूरे नहीं होते। हादिया केस में यह सारे तत्त्व पाए जाते हैं। जब हमारी अदालतों ने जिन्हें संविधान व कानून और व्यक्तिगत आज़ादी की रक्षक होना चाहिए एक बालिग महिला को उसके पति से महज़ इस लिए दूर रखा की उसमें उन्हें शक की बिना पर मन बदलने और लव जिहाद की साजिश नजर आई। संविधान की धरा 25 (1) की रु से हर बालिग़ पुरुष या महिला को आत्मा की आज़ादी के साथ किसी भी धर्म को मानने, अपनाने और उसकी प्रचार प्रसार का अधिकार प्राप्त है।

यह अधिकार उसे अपनी पसंद की शादी करने मामले में भी दिया गया है लेकिन जब से हिंदुत्व के ठेकेदारों ने लव जिहाद और घर वापसी का शोशा छोड़ा यह सिलसिला वन वे ट्रेफिक में बदल गया है। हिन्दू धर्म अपनाने को (घर वापसी) और किसी मुस्लिम महिला को हिन्दू बनाकर शादी करने (बहू लाओ बेटी बचाओ) करने वालों का स्वागत किया जाता है उसके विपरीत इस्लाम कुबूल करने वाले को समाज में जगह नहीं मिलती और उनकी शांति में खलल पैदा हो जाता है।

जो हिंदुत्ववादियों की मुसलमानों से नफरत और बेबुनियाद डर का नतीजा है जिसमें मोदी के सत्ता में आने के बाद वृद्धि हुई है।यह होम्योपैथी की शिक्षा हासिल करने वाली अखिल अशोकन नामी एसी महिला की कहानी है जिसके दिल में किराये के फ्लेट में दो मुस्लिम छात्राओं के साथ रहते हुए इस्लाम का आकर्षण पैदा हुआ। कुरान और इस्लामी लिटरेचर के स्टडी के बाद जनवरी 2016 में वह मुस्लमान हो गई और अपना नाम हादिया रखा।

दुसरे दिन जब वह हिजाब के साथ कॉलेज गई तो उसके धर्म परिवर्तन की खबर आग की तरह पूरे कॉलेज में फ़ैल गई, जब उसके पिता एम अशोकन को इसकी जानकारी हुई तो वह सख्त नाराज़ हुए और उसे घर लौटने को कहा। हादिया ने इंकार कर दिया और एक दूसरी मुस्लिम सहेली के घर शिफ्ट हो गई।अशोकन ने केरला हाईकोर्ट में हादिया को अदालत में हाज़िर होने का आदेश देने की अर्जी दी। वजह बताई कि उनकी बेटी का इस्लाम कुबूल करना एक साजिश है जिसके जरिये हिन्दू लड़कियों को मुसलमान बनाकर सीरिया व इराक भेजा जाता है।