दोहा संकटः सऊदी ने चली चाल, इस साल नहीं होगा कतरियों का हज

दोहा संकट की वजह से इस साल कतर के लोगों के लिए हज अदा करना मुमकिन नहीं होगा। ऐसा सऊदी अरब की नीतियों की वजह से हुआ है, जो कि इस्लाम के दो धार्मिक स्थलों (मक्का और मदीना) का प्रबंधक है।

सऊदी की ओर से संचार और सहयोग की कमी का सीधा मतलब है कि 2017 में क़तर के नागरिकों और निवासियों के लिए कोई हज नहीं होगा।

अलजज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, क़तरी मंत्रालय अवक़ाफ और इस्लामिक अफेयर्स, जो क़तर के नागरिकों और निवासियों के लिए सालाना हज का आयोजन करता है, उसने घोषणा की है कि उसे यात्रा संबंधी रसद या सुरक्षा गारंटी पर अपने सऊदी समकक्ष से जवाब नहीं मिला है।

ग़ौरतलब है कि सऊदी अरब, मिस्र, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात ने पांच जून को कतर के साथ राजनयिक एवं कारोबारी संबंध खत्म कर लिए थे।

सरकारी कतर समाचार एजेंसी ने मंगलवार को बताया कि कतर के धार्मिक अधिकारियों को हज मंत्रालय की ओर से कोई सहयोग या सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है, जिससे कतर के तीर्थयात्रियों की विनियामक प्रक्रिया में भ्रम और दुविधा है”।

क़तर के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के निदेशक साद सुल्तान अल-अब्दुल्ला ने चिंता व्यक्त की है कि मुसलमानों को धार्मिक कर्तव्य करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा,  “राजनीती को धर्म से अलग रखना चाहिए”।

ब्रुसेल्स स्थित एलायंस फॉर फ़्रीडम एंड डिग्निटी में मिडल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका डिवीजन के प्रमुख अब्देलमजीद मारीली ने इस रवैये के लिए सऊदी सरकार की आलोचना की।

मारीली ने अल जजीरा से कहा, “मक्का किसी भी सरकार के स्वामित्व में नहीं है मक्का सभी मुसलमानों के लिए है। “सऊदी का रवैया इस्लामी मूल्यों और मानदंडों के साथ-साथ सभी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के समझौतों और सम्मेलनों का स्पष्ट उल्लंघन है।”

पिछले सप्ताह, सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद ने अपनी सरकार से कहा था कि वह कतरी हाजियों को मेहमानों के रूप में अपने खुद के खर्च पर सऊदी स्वामित्व वाले हवाई जहाज से लाएं।

समीक्षकों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के संगठनों का मानना है कि सऊदी की यह घोषणा महज़ राजनीतिक स्टंट है। सऊदी इसके ज़रिए आलोचना से बचने की कोशिश कर रहा है।