पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने उर्दू भाषा के राजनीतिकरण पर निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि उर्दू के बारे में यह धारणा बनाई गई है कि उर्दू मुसलमानों की ज़बान है, जो कि पूरी तरह ग़लत है।
हामिद अंसारी ने ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘द वायर’ के उर्दू संस्करण के शुभारंभ के मौके पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ से बातचीत के दौरान कहा कि उर्दू न सिर्फ मुसलमानों की बल्कि पूरे भारत की ज़बान है। पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा कि दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल और देश के अन्य हिस्सों में उर्दू बोलने वाले लोग आसानी से मिल जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि उर्दू न सिर्फ भारत में बल्कि बाहर भी बोली जाती है। आजकल कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में उर्दू बोलने वाले लोग हैं।
जब यह पूछा गया कि क्या उर्दू सीख कर रोज़गार हासिल किया जा सकता है, तो हामिद अंसारी ने कहा, “यह बहुत बड़ी ख़ामी है, लेकिन यह सोच कर कि इससे रोज़गार में मदद नहीं मिलेगी, इसलिए ज़बान को ज़िंदा न रखना बड़े अफसोस की बात होगी।”
उन्होंने कहा कि जिस खूबसूरती से जज़बात उर्दू में पेश किए जा सकते हैं वह किसी और ज़बान में नहीं किए जा सकते। यह इस ज़बान का कमाल है।