दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने हाशिमपुरा नरसंहार मामले में दोषी ठहराए गए सभी 16 पीएसी जवानों के आत्मसमर्पण न किए जाने पर नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए गाजियाबाद के एसएचओ के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। कोर्ट ने गाजियाबाद के एसएसपी को भी 5 दिसम्बर को तलब किया है।
गाजियाबाद के एसएसओ इस मामले में अब तक कोर्ट में अब तक यह रिपोर्ट दाखिल नहीं कर पाए हैं कि सभी 16 दोषी पीएसी जवानों ने सरेंडर क्यों नहीं किया। इससे कोर्ट ने नाराज होकर यह आदेश दिया।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले में अब तक 10 दोषी पीएसी जवान सरेंडर कर चुके हैं। पिछले 27 नवम्बर को 5 जबकि 22 नवंबर को 4 दोषी पीएसी जवानों ने सरेंडर किया था।
हाईकोर्ट ने पिछले 31 अक्टूबर को इस मामले में 16 पीएसी जवानों को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सभी दोषियों को 22 नवंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया था।
तीस हजारी कोर्ट ने सबूतों के अभाव में पीएसी जवानों को बरी कर दिया था। इस घटना में मेरठ के हाशिमपुरा में 42 लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 21 मार्च 2015 को संदेह का लाभ देते हुए हत्या के आरोपी 16 पीएसी कर्मियों को बरी कर दिया था।
तीस हजारी कोर्ट ने कहा था कि 42 लोगों की हत्या के मामले में आरोपियों की पहचान के लिए बचाव पक्ष पर्याप्त सबूत नहीं पेश कर सका।
पीएसी के आरोपी जवानों पर आरोप था कि 1987 में उन्होंने 42 मुस्लिम युवकों को उनके घरों से उठाया और पास ही ले जाकर उनकी हत्या कर दी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी । सीबीसीआईडी ने 7 साल बाद 1994 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। पहले ये मामला गाजियाबाद की कोर्ट में चल रहा था लेकिन 2002 में दंगा पीड़ितों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया।