‘नफरत का जवाब नफरत से देना बेवकूफी है’

इस बात से हम सब अच्छी तरह वाकिफ हैं कि हमारे देश में इन दिनों एक ऐसा समूह सकिर्य है जो अपने आप को बहुत गर्व से हिन्दू कहता है। बहुत जोश से खुद को भारतीय साबित करने की कोशिश करता है और बहुत गहरे रंग का भगवा लिबास पहनकर गली गली में घूमता है, लेकिन इस समूह की असलियत यह है कि इससे संबंध रखने वाले लोग हिन्दुइज्म की मोहब्बत में यह सब नहीं कर रहे हैं बल्कि मुसलमानों, ईसाईयों, सिखों और दलितों के खिलाफ जो उनके दिलों में नफरत भरी है उसके तहत कर रहे हैं।

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इसी समूह से संबंध रखने वाले एक चरमपंथी ने तीन दिन पहले लखनऊ में ऑला कैब की बुकिंग की, लेकिन जब उसके फोन पर मैसेज आया कि उसके पास मसूद आलम नाम का ड्राईवर पहुंच रहा है तो इस हिन्दू चरमपंथ ने यह कहकर ओला कैब रद्द कर दिया कि मैंने अपने पैसे किसी जिहादी को नहीं देना चाहता इसलिए मैं मुस्लिम ड्राइवर की सेवा नहीं लूँगा।

बात यहीं समाप्त नहीं हुई, उस चरमपंथी और नफरत के सौदागर ने बहुत गर्व से अपने दिल में भरी नफरत का प्रदर्शन करने के लिए टेक्सी बुक करने और उसको केंसिल करने की वजह को सोशल मीडिया पर भी डाल दिया और अपने जैसे विचारधारा रखने वालों से खूब वाह वाही लुटी, लेकिन खुदा का शुक्र है कि इस देश के जागरूक और समृद्ध नागरिकों ने बिना किसी धार्मिक भेदभाव के इस चरमपंथी की खूब निंदा की।

मगर ऐसे लोग निंदा किये जाने से जरा भी प्रभावित नहीं होते क्योंकि उनका मकसद यही है कि समाज में नफरत फैले। वह यही चाहते हैं कि जोशीले और जज्बाती किस्म के बेवकूफ मुसलमान उसको जमकर गलियां दीं, ताकि वह चरमपंथी हिन्दुवों में मशहूर हो।