आव्रजन अधिकारियों को ओसीआई कार्डधारी एक व्यक्ति को ‘काली सूची’ में डालने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आदेश देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वीसा के नियम का हर उल्लंघन का मतलब यह नहीं है कि उस व्यक्ति को देश में प्रवेश करने से ही रोक दिया जाए।
ऐसा तभी किया जा सकता है जब इस बात का सबूत हो कि उसका व्यवहार देश के हित के खिलाफ रहा है। अदालत ने कहा, यह याद रखना जरूरी है कि किसी व्यक्ति का सिर्फ धर्म के आधार पर प्रोफाइलिंग हमारे संवैधानिक धर्म के खिलाफ है। न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने मोहम्मद अब्दुल मोयीद की अपील पर यह बात कही।
मोयीद ने कहा कि आव्रजन अधिकारियों ने हैदराबाद हवाई अड्डा पर पहुँचने के बाद उनसे उनके धर्म के बारे में पूछा गया और उन्हें हैदराबाद से कनाडा जाने के लिए बाध्य किया।
कनाडाई नागरिक मोहम्मद मोयीद ने कहा कि वह इस सूचना के बाद भारत आया था कि उसका एक बेटा जो कि दिव्यांग है, गंभीर रूप से बीमार है। जब वह आव्रजन काउंटर पर पहुंचा, एक आव्रजन अधिकारी ने उससे कहा कि उसको कनाडा वापस जाना पड़ेगा क्योंकि भारत सरकार ने भारत में उसके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बाद उसको कनाडा वापस जाने के लिए बाध्य किया गया।
सीपीआईओ और अपीली अधिकरण से आरटीआई के माध्यम से जब उसे यह पता नहीं चला कि भारत में उसके प्रवेश पर प्रतिबंध क्यों है, उसने हाईकोर्ट में अपील की।
अधिकारियों ने कोर्ट में कहा कि मेवात, हरियाणा के एसपी के कहने पर भारत में उसके प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है क्योंकि उन्होंने पर्यटन वीसा पर भारत आने के बावजूद मेवात के मस्जिदों का दौरा किया और और स्थानीय मुसलमानों से भेंट मुलाक़ात की जो कि उनको नहीं करनी चाहिए थी।
जज ने कहा कि उसके खिलाफ दिए गए मेमोरेंडम में जो आरोप लगाए गए हैं वे काफी बचकानी और सुनी सुनाई बातों पर आधारित है। सिर्फ इस एक बात से इनकार की गुंजाइश कम है कि उन्होंने ऐसे कुछ मस्जिदों का दौरा किया जहां तबलीग के कार्य किया हो।
कोर्ट ने यह भी कहा कि उसका ओसीआई कार्ड 2006 में जारी किया गया और उसे आज तक रद्द नहीं किया गया है। मेवात के एसपी ने नहीं कहा कि वह मुसलमानों को इकट्ठा कर अमरीका और पश्चिमी देशों के खिलाफ लड़ना चाहता था या देश विरोधी समूहों के लिए धन इकट्ठा करना चाहता था।
कोर्ट ने कहा, क्योंकि अगर ऐसा होता तो केंद्र सरकार जरूर कोई कदम उठाती और 1955 के अधिनियम की धारा 7D के तहत उसका ओसीआई कार्ड रद्द करने के लिए कार्रवाई करती।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने आगे कहा कि वीसा उल्लंघन के हर वाकये की परिणति देश में उसके प्रवेश पर प्रतिबंध में नहीं होनी चाहिए बशर्ते कि इस बात का पुख्ता सबूत हो कि यह व्यक्ति देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है।