मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने 2 मुसलमानों की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे 5 आरएसएस कार्यकर्ताओं को बरी कर दिया है।
यह हत्या 30 दिसंबर, 2007 को की गई थी, बताया जाता है कि यह हत्या आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या के एक दिन बाद बदले की भावना से की गई थी।
65 साल के रशीद शाह को उसी वक्त मौत के घाट उतार दिया गया था जबकि 27 साल के उनके बेटे जलील पर एसिड से हमला किया गया था। जिसके बाद जलील ने 11 जनवरी को इंदौर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
31 जुलाई 2009 को देवास की सत्र अदालत ने इस मामले में भंवर सिंह (25) महिपाल सिंह (21) ओमप्रकाश (23) जसवंत सिंह (24) और राजपाल सिंह (19) को जलील के मरने से पहले दिए गए घोषणापत्र के आधार पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
पांचों कार्यकर्ताओं ने सत्र अदालत के फैसले को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में चुनौती देते हुए यह तर्क दिया कि उन्हें आरएसएस कार्यकर्ता होने की वजह से फंसाया गया था। बचाव पक्ष के वकील प्रदीप गुप्ता ने द संडे एक्सप्रेस को बताया, “हमने जलील के घोषणापत्र को अस्वीकार कर दिया और अभियुक्तों की ग़ैरमौजूदगी को साबित कर दिया।
उन्होंने बताया कि अभियुक्त घटना के वक्त पंचमढ़ी (मध्य प्रदेश में एक पहाड़ी केंद्र) में मौजूद थे। वहीं जलील के बड़े भाई लतीफ शाह ने कहा कि उसका परिवार कोर्ट के आदेश को चुनौती देगा।
ग़ौरतलब है कि इस मामले में कई लोगों पर आरोप लगाया गया, लेकिन इन पांचों के अलावा किसी और को गिरफ्तार नहीं किया गया था, जिन्हें अब बरी कर दिया गया है।