दंगे के मामले में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ़ मुकदमा चलाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई है । मामला गोरखपुर 2007 के सांप्रदायिक मामले का है । सोमवार को केस से जुड़े रिकॉर्ड कोर्ट में पेश नहीं किया जा सके। इस मामले पर अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
दंगे की जांच सीबीसीआईडी के बजाय सीबीआई या किसी दूसरी स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। अदालत में अब इस बात पर बहस चल रही है कि जब आरोपी खुद सूबे के मुखिया हैं तो ऐसे में इस केस में मुकदमा चलाने की मंजूरी कैसे मिल पाएगी ।
इस मामले में परवेज़ परवाज़ और असद हयात ने याचिका दाखिल की है। सोमवार को याचिका कर्ता का पक्ष पूरा नहीं हो सका । मामला लगभग 10 साल पुराना है । 2007 में 26/27 जनवरी की रात में मोहर्रम जुलूस निकल रहा था। जुलूस में दो पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया । हालांकि पुलिस ने मामले पर काबू पा लिया था ।
कोतवाली थानाक्षेत्र के झंकार सिनेमा के पास पुलिस की गाड़ी से राजकुमार अग्रहरि नामक युवक को खींचकर गुस्साई भीड़ ने चाकू मारकर हत्या कर दी। इस हत्याकांड के बाद मामले ने अचानक सांप्रदायिक रंग ले ली। धरना-प्रदर्शन होने लगा।
महाराणा प्रताप चौराहा पर बीजेपी के बड़े नेताओं की अगुवाई में सभा हुई। बताया जाता है कि इस सभा में वक्ताओं ने भड़काऊ भाषण दिए। भड़काऊ भाषण देने वालों में तत्कालीन गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ भी थे। आरोप है कि योगी के भाषण के बाद ही गोरखपुर में दंगे भड़के थे जिसमें राशिद नाम के एक युवक की भी जान गई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले परवेज़ परवाज़ के मुताबिक भाषण के दौरान वो वहां से गुज़र रहे थे । परवेज परवाज ने कैण्ट इंस्पेक्टर को तहरीर देकर विवादित बयान देने और उसके बाद भड़के दंगे में हुई राशिद की हत्या के मामले में मुकदमा दर्ज करने की अपील की।
थाने में मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो परवेज परवाज ने न्यायालय की शरण ली। इसके बाद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने एवं उन्माद फैलाने की धाराओं सहित 302, 153ए, 153बी, 295, 295बी, 147, 143, 427, 452 के तहत कैण्ट थाना में मुकदमा दर्ज किया गया। इसी मामले में सुनवाई होनी है ।