हिंदी और उर्दू वालों को एक दूसरे से लाभान्वित होने की ज़रूरत

नई दिल्ली: महिलाओं की सामाजिक हालत पर कलम के ज़रिए जंग लड़ने वाली और समाज को अपनी लेख के जरिए बार बार झिंझोड़ने वाली मशहूर महिला लेखक इस्मत चुगताई जिनको दुनियां ऐनी आपा के नाम से जानती है। और जिन्होंने अफसाना निगारी, नावेल निगारी और खाका निगारी में इंकलाब लाया था।

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उन्हें आज का शिक्षाविद और लेखक भूल नहीं पा रहे हैं। नई दिल्ली के प्रगतिमैदान में लगाये जाने वाले नेशनल बुक ट्रस्ट के वर्ल्ड बुक फेयर में ज्ञान पीठ पब्लिकेशनज के स्टाफ पर उन्हें ऐनी आपा पर त्रिमासिक अद्भावना के इस्मत चुगताई नंबर का रिलीज़ वर्ल्ड उर्दू ट्रस्ट के चेयरमैन ए रहमान, एडीटर जानकी प्रसाद शर्मा, उर्दू दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सादिक, अद्भावना के पब्लीशर अजय कुमार, लीलाधर मंडवाइ, नूर जहीर के हाथों हुआ।

इस मौके पर बोलते हुए उर्दू और हिंदी भाषा पर यकसां महारत रखने वाले जानकी प्रसाद शर्मा ने कहा कि हिंदी और उर्दू वालों को एक दुसरे से लभान्वित होने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि यह ऐनी आपा जो का जो एडिशन वजूद में आया है मेरे कामों का यह अधिकारिक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में जिस तरह एक खास धर्म क देश की संस्कृति के साथ जोड़ कर पेश किया जा रहा है यह खुले तौर पर गुंडागर्दी है जबकि देश की संस्कृति अलग बात है और धर्म अलग मामला है। हम लोगों को उस पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।