आस्था का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। इस बात का सबूत मिलता है पुरानी दिल्ली के एक मोहल्ले से। ‘गली माता वाली’ नाम सुनकर सबको यही लगेगा कि ये कोई हिन्दू मोहल्ला होगा। लेकिन असल में इस मोहल्ले में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। ये गली दरियागंज के छत्ता लाल मियां में स्थित है।
दरअसल यहाँ रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों की आस्था हिन्दू धर्म में पूजी जाने वाली देवी माता से जुड़ी हुई है। इस गली में घुसते ही सबसे पहली माता की जगह बनी हुई है जोकि इस गली की पहचान है।
यहाँ के निवासी अतीक कुरैशी ने बताया है कि 125 साल पहले यहाँ इस जगह चेचक की बिमारी फ़ैल गई थी जिससे बचने के लिए यहाँ के बड़े बुजर्गों ने यहाँ माता का मंदिर बनवाया था। इसके बाद इस गली से चेचक का प्रकोप खत्म हुआ। फिर ये बीमारी दोबारा कभी नहीं फैली। इसलिए आज भी मुस्लिम लोग माता की पूजा करते हैं।
बात इस जगह की सफाई की हो या फिर मुरम्मत की। यहाँ रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग ही आपस में मिल जुल कर खर्चा करते हैं। जब भी कोई त्यौहार होता है तो हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग मिलकर पूजा करते हैं। ये मंदिर दोनों धर्मों की आस्था का केंद्र बन चुका है।
इस गली में रहने वाले मांस कारोबारी नवरात्रों में इस बात का ख़ास ख्याल रखते हैं कि इस दौरान किसी की धार्मिक भावना आहत न हो।