हिंदुत्व की राजनीति भारत के वैश्विक शक्ति बनने में बाधक: पूर्व चीफ जस्टिस

नई दिल्ली: पूर्व प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने भारत में हिंदुत्व की राजनीति की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसी राजनीति भारत के लिए वैश्विक शक्ति बनने की राह में बाधक बन सकती है। उन्होंने कहा कि, ‘आज जो कुछ हो रहा है, वह भारत के हित में नहीं है, खासतौर से अगर हम सांप्रदायिक मानसिकता प्रदर्शित कर रहे हैं तो वह ठीक नहीं है।

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रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को 24वें लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल लेक्चर में खेहर ने कहा कि भारत वैश्विक शक्ति बनने की ख्वाहिश रखता है। लेकिन वैश्विक परिदृश्य में आप अगर मुस्लिम देशों के साथ दोस्ती की हाथ बढ़ाते हैं तो वैसी स्थिति में आप अपने देश में मुस्लिम विरोधी नहीं बन सकते। उसी तरह अगर आप ईसाई देशों के साथ मजबूत संबंध चाहते हैं तो आप ईसाई-विरोधी नहीं बन सकते। उनहोंने कहा कि भारत में हिंदुत्व की राजनीति भारत के वैश्विक शक्ति बनने में बाधक बन बन सकती है।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने शास्त्री के जीवन से संबंधित एक आदर्श के रूप में धर्म निरपेक्षता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सफलतापूर्वक देश के नेतृत्व करने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री कहा करते थे कि भारत धर्म को राजनीति में शामिल नहीं करता है।

खेहर ने कहा कि, ‘शास्त्री ने एक बार देखा कि हमारे देश की खासियत है कि हमारे देश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी और अन्य धर्मों के लोग रहते हैं। हमारे यहां मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर हैं, लेकिन हम इन सबको राजनीति में नहीं लाते हैं। हम उसी प्रकार भारतीय हैं जिस प्रकार अन्य लोग।

उनहोंने बताया कि शास्त्रीजी धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, आवास, भाषा आदि को लेकर समूहों के बीच भाईचारा बनाए रखने के मार्ग में बाधक पूर्वाग्रहों को दंडात्मक अपराध के रूप में भारतीय दंड संहिता में धारा 153ए जोड़ने के लिए एक विधेयक लाए थे।