चार शिक्षाविदों ने अंग्रेजी की किताब ‘ए क्वांटम लीप इन द रांग डायरेक्शन‘ (दो कदम पीछे) में 14 बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए बीते पांच साल में मोदी को विकास और हिंदुत्व दोनों एजेंडों पर फेल बताया है। दिल्ली में बुधवार को जाने-माने अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने इस किताब का विमोचन किया।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, जेएनयू में इकोनोमिक्स के प्रोफेसर और किताब के लेखक रोहित आजाद के मुताबिक, 2014 के लोकसभा चुनाव में जिस मोदी एजेंडे के तहत भाजपा सत्ता में आई थी, वह फेल है। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले इन पांच सालों के विकास का आकलन किया गया है।
Expressing grave concern at the exclusionary thought guiding the ruling establishment, Nobel Laureate Amartya Sen said that “there is a connection between Hindutva psychology and exclusion.” https://t.co/G5vFlSolCy
— The Hindu (@the_hindu) February 27, 2019
इसमें यूपीए एक और यूपीए दो से तुलना भी की गई है। प्रो. रोहित आजाद के मुताबिक, बैंकिंग चैप्टर में बैंकों की हालत पर प्रकाश डाला गया है। बैंकों की हालत बदतर है। 2017-18 में मुनाफा नेगेटिव है।
"Professor #AmartyaSen argued that the social inequality inherent in #Hindutva translates into an acceptance of economic inequality also."https://t.co/6sh6nv90pW
— SalimRizvi (@RizviSalim) February 28, 2019
मोदी सरकार में बैंकों से धोखाधड़ी के आंकड़े सबसे अधिक हैं। विकास दर यूपीए एक के कार्यकाल से भी एक फीसदी कम है। असमानता भी सबसे अधिक है। भारत की कुल पूंजी में से आधी महज एक फीसदी लोगों के पास है।
अन्य पचास फीसदी पूंजी 99 फीसदी जनता के पास। नोटबंदी के चलते रोजगार को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा। रोजगार के आंकड़े पिछले 45 साल में पहली बार सबसे अधिक चौंकाने वाले हैं। नोटबंदी से रोजगार और उद्योगों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा। किताब के माध्यम से लेखकों ने सौभाग्य, उज्ज्वला, मुद्रा स्कीम के आंकड़ों व विकास पर सवाल उठाए हैं।
इस किताब के अन्य लेखकों में पॉलिटिकल इकोनोमी रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधार्थी एस चक्रवर्ती, द हिंदू के एसोसिएट एडिटर श्रीनिवासन रमानी और अंबेडकर यूनिवर्सिटी दिल्ली की शिक्षिका दीपा सिन्हा हैं। कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल गांधी के अलावा कई लोग मौजूद रहे।