तस्वीरें: यरूशलम का इतिहास उस वक्त का है जब इजराइल का दुनिया में नामोनिशान नहीं था

हैदराबाद। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऐतिहासिक गलती भरे फैसले ने दुनिया को चौंका कर रख दिया है। डोनल्ड ट्रंप ने येरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी है।

चुनाव प्रचार के दौरान ही ट्रंप की मुस्लिम विरोधी छवि देखी गई थी। कट्टर और विवादित बयान ने दुनिया में आलोचना भी हुई।

ट्रम्प ने चुनाव प्रचार के दौरान यहूदियों को खुश करने के लिए वादा किया था कि वह येरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देंगे और आज उन्होंने गलत फैसला कर के वह पूरा कर दिया।

आपको बताता चलूँ की दुनिया में इसकी घोर आलोचना हो रही है। आपको कुछ तस्वीरें दिखायेंगे जिससे यह साबित होता है कि यरुशलम का इतिहास सदियों पुरानी है। इतिहास बताता है कि उस वक्त इजरायल का दुनिया की जमीन पर नामोनिशान तक नहीं था।

बताना चाहुंगा कि इजराइल और फलस्तीन के बीच विवाद में येरुशलम का दर्जा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देना एक ऐतिहासिक और वास्तविक है।

इजरायल की ज्यादातर सरकारी एजेंसियां और पार्लियामेंट तेलअवीव के बजाय येरूशलम में ही हैं, जबकि अमेरिका और अन्य देशों के दूतावास तेल अवीव में हैं। तेल अवीव में 86 देशों के दूतावास हैं।

यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही धर्म के लोग येरुशलम को पवित्र मानते हैं। यहां टेंपल माउंट है, जो यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है। वहीं अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान पवित्र मानते हैं।

उनकी मान्यता है कि अल-अक्सा मस्जिद से ही पैगंबर मोहम्मद जन्नत पहुंचे थे। इसके अलावा ईसाई मानते हैं कि येरुशलम में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। यहां स्थित सपुखर चर्च को ईसाई पवित्र मानते हैं।

एक तरफ जहां इजरायल अपनी राजधानी येरुशलम को बताता है, वहीं दूसरी तरफ फिलिस्तीनी भी इस पर अपना दावा करता है।

संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया के कई देश पूरे येरुशलम पर इजरायल के दावे को मान्यता नहीं देते। साल 1948 में इजरायल ने आजादी की घोषणा की थी और एक साल बाद येरुशलम का बंटवारा हुआ था। बाद में 1967 में इजरायल ने 6 दिनों तक चले युद्ध के बाद पूर्वी येरुशलम पर कब्जा कर लिया था।

तेल अवीव स्थित अमेरिकी दूतावास को येरुशलम शिफ्ट किए जाने की ट्रंप की योजना से फिलिस्तीनियों में नाराजगी है।

फिलिस्तीन के कई समूहों ने ट्रंप के इस कदम का विरोध करने और प्रदर्शन करने की धमकी दी है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वह ऐसा करता है तो इससे क्षेत्रीय शांति खतरे में पड़ जाएगी।

फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने भी येरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के ट्रंप के फैसले पर चिंता जताई है। कुछ अरब और मुस्लिम देश भी इस मामले में अपना विरोध जता चुके हैं। अरब लीग के मुखिया, तुर्की, जॉर्डन और फ़लस्तीनी नेताओं ने इसके ‘गंभीर परिणाम’ की चेतावनी दी है।

येरूशलम में पवित्र इस्लामिक धर्म स्थल के संरक्षक जॉर्डन ने चेतावनी दी है कि अगर ट्रंप आगे बढ़ते हैं तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। उसने प्रमुख क्षेत्रीय और अरब लीग और ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द इस्लामिक कॉन्फ्रेंस की एक आपात बैठक बुलाई है।

अरब लीग के मुखिया अबुल गेथ ने चेतावनी दी है कि इस तरह के कदम से कट्टरपंथ और हिंसा को बढ़ावा मिलेगा।

सऊदी अरब के सुल्तान सलमान ने अमेरिकी नेता से कहा कि ऐसे किसी भी कदम से दुनियाभर के मुसलमान भड़क सकते हैं। मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तह अल सिसी ने ट्रंप से निवेदन किया कि वो हालात को न उलझाएं।