पीएम मोदी की केसरिया होली की बात और चुनाव के नतीजों के बीच बाराबंकी जिले में सूफी फकीर हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर घूमधाम के साथ होली खेली गई।
यूँ तो वारिस अली शाह की दरगाह हर साल होली के दिन आपसी भाईचारे के रंग से सराबोर होती है लेकिन इस बार की होली कुछ ख़ास थी और उसमे छुपा सन्देश भी।
यहाँ हर साल होली के मौके पर देश भर से हाजी बाबा के मुरीद देवा शरीफ आते हैं। इसमें शिरकत करने मुल्क के तमाम हिस्सों से अलग -अलग मजहबों के लोग होते हैं जो सूखे रंगों से होली खेलते हैं। इस दौरान दरगाह के चारों तरफ उड़ते गुलाल का नज़ारा देखने लायक होता है।
यहाँ दरगाह पर रहने वाले सूफी फकीर गनी शाह वारसी कहते हैं कि सरकार का फरमान था कि मोहब्बत में हर धर्म एक है। उन्हीं सरकार ने ही यहां होली खेलने की रवायत शुरू की थी। सरकार खुद होली खेलते थे और उनके सैकड़ों मुरीद जिनके मजहब अलग थे, जिनकी जुबानें जुदा, वे उनके साथ यहां होली खेलने आते थे। रंगों का तो कोई मजहब नहीं होता है।
यूपी चुनाव के बाद एक तरफ जहाँ पीएम मोदी की केसरिया रंग वाली बात पर भाजपा के लखनऊ दफ्तर के बाहर ‘मंदिर वहीँ बनाएंगे’ जैसे नारे लग रहें हों ऐसे में इस दरगाह पर होली की परम्परा हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब की खूबसूरत मिसाल पेश कर रही है।
You must be logged in to post a comment.