दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला रद कर Gay sex को जुर्म के जुमरे में रखते हुए दफा 377 को आइनी ठहराए जाने के मुताल्लिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सहारनपुर जिले के दारुल उलूम देवबंद समेत दिगर उलेमा ने इस्तेकबाल किया है। उलेमा ने इसे एक तारीखी फैसला बताते हुए कहा कि Gay sex को दुनिया का कोई भी मजहब इज़ाज़त नहीं देता।
इस्लामी इदारा दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इस्तेकबाल करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इंसानियत और शकाफ्ती अकाएद के मुताबिक है। इस फैसले पर सख्ती से अमल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी मज़हब या शकाफ्ती (कल्चर) Gay sex / Homosexuality की इजाजत नहीं देता है। मजहब-ए-इस्लाम में इस् जुर्म की बहुत बड़ी सजा है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अगर पार्लियामेंट में बिल लाया जाता है या फिर दफा 377 को नाकारा करने की कोशिश की जाती है तो यह सख्त काबिल ए मुज़म्मत होगा। दारुल उलूम वक्फ के उस्ताद मुफ्ती आरिफ कासमी व मदरसा जामियातुल अनवारिया के मोहतमिम मौलाना नसीम अख्तर शाह कैसर ने कहा कि हुकूमत को पार्लियामेंट में तजवीज पास कराकर इसे और सख्त कानून बनाना चाहिए, ताकि इसको मूशिर तरीके से लागू किया जा सके।