केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मरीजों के अधिकारों पर एक चार्टर जारी किया है। अगर यह प्रभावी हुआ तो भुगतान विवाद होने पर मरीज को अस्पताल में रोकना या शव सौंपने से मना करना अपराध होगा।
मरीज चार्टर के मसौदे के अनुसार, अस्पताल भुगतान को लेकर विवाद जैसे प्रक्रियात्मक आधार पर किसी मरीज को रोक कर नहीं रख सकता। उसे अस्पताल से छुट्टी देने से इनकार नहीं कर सकता।
यह अस्पताल की जिम्मेदारी है कि वह अस्पताल में इलाज कराने वाले किसी मरीज को गलत तरीके से नहीं रोके अथवा उसका शव देने से इनकार नहीं करे।
संयुक्त सचिव सुधीर कुमार की ओर से जारी नोटिस के अनुसार मंत्रालय राज्य सरकारों के माध्यम से इस चार्टर को लागू कराना चाहता है।
इसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तैयार किया है। इस चार्टर को स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला गया है।
आमजन और पक्षकारों से सुझाव और विचार मांगे गए हैं। इस चार्टर में मरीजों अथवा उनके परिजन के अधिकारों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।