मालदार लोगों के लिए सांसारिक आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ धार्मिक कर्तव्यों को अंजाम देना आसान है, लेकिन जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रत्येक दिन परिश्रम करने वाले श्रमिक लोगों के लिए हज जैसे कर्तव्य को अंजाम दे पाना आसान नहीं । मेरठ के एक ऐसे ही शख्स ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से जरूरी धन इकट्ठा करके हज पर जाने का मौका हासिल किया है।
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मेरठ के किदवई नगर इलाके के रहने वाले अब्दुल खालिक कपड़ों की सिलाई का काम करते हैं। दर्जी के पेशे से अब्दुल खालिक की रोज़ की जरूरियात तो पूरी हो जाती थी, लेकिन हज अदा करने के सपने को पूरा करने के लिए उनकी अमदी काफी न थी ।
हज के फर्ज़ को पूरा करने के लिए अब्दुल खालिक और उनकी पत्नी ने दिन रात कड़ी मेहनत करके रकम इकठ्ठा किया। अब्दुल खालिक और उनकी पत्नी को बधाई देने और रुखसत करने के लिए उनके दोस्त व रिश्तेदारों का उनके घर आने का सिलसिला जारी है। अब्दुल खालिक के करीबी भी मानते हैं कि बैतुल्लाह की जियारत और हज के फरीज़ा को अंजाम देने की लग्न और मेहनत से आज इस मेहनती को यह दिन देखना नसीब हुआ है।