काबुल। जहांताप अहमदी नाम की महिला को 3 बच्चे हैं जिनकी उम्र 5 साल से भी कम है और उसका पति अनपढ़ है। मध्य अफगानिस्तान में स्थित उसके गांव में एकमात्र प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षिका बनने के लिए जहांताप अहमदी की हाई स्कूल की डिग्री ही पर्याप्त थी लेकिन वह और कुछ ही करना चाहती थीं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अपने पति से प्रोत्साहन मिलने के बाद बीते 15 मार्च को जहांताप ने विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा देने के लिए देइकुंडी की प्रांतीय राजधानी निली जाने का मन बनाया और वह तब तक पैदल चलीं जब तक उसके पैरों में छाले नहीं पड़ गए।
इसके बाद वह अपनी 2 महीने की बेटी खेजरान को गोद में लेकर 10 घंटे तक बस की यात्रा करने के बाद परीक्षा देने पहुंची। निली में महिला ने परीक्षा दी और 200 में से 152 अंक हासिल किए। जहांताप ने जमीन पर बैठकर अपने 2 महीने के शिशु को अपनी गोद में लेकर परीक्षा दी और यह तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट कर दी गई।
जहांताप की तस्वीर फेसबुक पर वायरल हो गई जिसके चलते कॉलेज जाने का उनका सपना सच हो गया। दरअसल, एक एनजीओ की कोशिशों के चलते अब उन्हें एक निजी यूनिवर्सिटी में प्रवेश मिल गया है। जहांताप ने कहा, ‘काबुल में काम करने वाले मेरे भाई ने मुझे फोन किया और कहा कि मैंने फेसबुक में तुम्हारी तस्वीर देखी है।
मैं शिक्षा प्राप्त करना चाहती थीं, ताकि मैं अपने गांव की मदद कर सकूं, अपने गांव में बदलाव ला सकूं। मैं अपने समाज की मदद करना चाहती हूं। लेकिन पहले मैं अपने बच्चों के लिए ऐसा चाहती हूं ताकि एक दिन उन्हें शिक्षित किया जा सके।’
अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के खात्मे के 17 साल बाद अब अफगानिस्तान में लगभग 60 लाख बच्चे स्कूल जाते हैं जिनमें से एक-तिहाई लड़कियां हैं। गौरतलब है कि तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया था। चिंता की बात यह है कि अभी भी अफगानिस्तान में 35 लाख बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल नहीं गए हैं। इन बच्चों में 75 प्रतिशत लड़कियां हैं।